खुद की खुद से मुलाकात
खुद की खुद से मुलाकात
जिंदगी की शाम से पहले खुद से खुद की मुलाकात बाकी है ।
इंतजार और नहीं फुर्सत के दो पल निकालना अभी बाकी है।
आईने के सामने रोज आती हूं खुद को सजाना संवारना बाकी है ।
दिल को ख्वाहिश नहीं कोई ऐसा मिले जो मुझे समझ सके।
अब तो चाहते है हम खुद से खुद की मुलाकात कर सके।
बहुत दिनों बाद आईना जो देखा तो मैं हैरान हो गई।
क्या थी मैं और क्या हो गई जब खुद से खुद की मुलाकात हो गई ।
मैं नायाब तोहफा हूं खुद के लिए खुद में ही पूरी हूं मैं।
बड़ी देर बाद तलाश पाए हैं बड़ी मुश्किल से पास आई हूं मैं
बातें भी खुद से करती, साथ भी खुद का ही देती हूं मैं ।
खुद से रुठती हूं ,खुद को ही मनाती हूं मैं ।
अकेले रहने का हुनर तो हमें बरसों से हैं ।
आज सच में मैने खुद को ढूंढ ही लिया है।
नहीं चाहिए साथ किसी का मुझे खुद को पहचानने के लिए।
आज मेरी खुद से ही खुद की मुलाकात हो गई है।
आज मेरी खुद से ही खुद की मुलाकात हो गई है।
लता सेन
इंदौर ( मध्य प्रदेश )