अहो भाग्य हमारे,जो कलयुग में राम पधारे

हिय तरंग दिव्यता स्पंदन,
सकारात्मक संपूर्ण परिवेश ।
सघन तिमिर अस्ताचल बेला,
सात्विकता उन्मुख मनुज आवेश ।
रामलला प्राण प्रतिष्ठा पर्व,
नव्य कांति सृष्टि मंडल पसारे ।
अहो भाग्य हमारे,जो कलयुग में राम पधारे ।।

घर बाजार गांव शहर,
स्वच्छता विशेष अभियान ।
अज्ञान अंधेरा मूल दूर,
रक्षा संकल्प स्वाभिमान ।
यथार्थ अनूप विजय रथ,
असत्य अब ओझलता किनारे ।
अहो भाग्य हमारे,जो कलयुग में राम पधारे ।।

सद्गुण सात्विकता आदर्श,
दैनिक जीवन गहन रमण ।
अंतर्संबंध नव ताजगी,
अपनत्व अथाह अवतरण ।
त्रेता सदृश अठखेलियां,
धर्म आस्था जन कटाक्ष पखारे ।।
अहो भाग्य हमारे,जो कलयुग में राम पधारे ।।

परिवेश उत्संग साज सज्जा ,
अयोध्या तुल्य अथक प्रयास ।
नमन राघव श्रीचरण कमल,
धरा अंबर अप्रतिम उजास ।
धर्म कर्म आस्था आह्लाद ,
सर्वत्र उत्सविक प्रभा नैतिक नजारे ।
अहो भाग्य हमारे,जो कलयुग में राम पधारे ।।

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

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