किताब जिंदगी की | Kitaab Zindagi ki
किताब जिंदगी की
( Kitaab Zindagi ki )
जिंदगी की किताब मे,
अभी कुछ पन्ने खाली हैं ,
आओ रंग दें उन्हे भी ,
जो पल अभी बाकी हैं ।
न जाने कब जिंदगी की
शाम हो जाए,
न जाने कब शाम तो आए ,
पर सुबह न आए।
हर सांस पर अटकी है,
दूसरी आती हुई सांस, ।
न जाने कब प्रबल ,
अनहोनी हो जाए।
आओ रंग दें उन्हे भी,
जो पन्ने अभी खाली हैं ।
लता दीक्षित
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