किया फिर घात दुश्मन ने बढाकर हाथ यारी का

किया फिर घात दुश्मन ने बढाकर हाथ यारी का

किया फिर घात दुश्मन ने बढाकर हाथ यारी का 

 

किया फिर घात दुश्मन ने बढाकर हाथयारी का।
मिटा के उसकी हस्ती को सबक़ देंगे मक्कारी का।।

 

यूं सरहद लांघ कर उसने खुद शोलों को हवा दी है।
ज़माने भर में है चर्चा जवानों की दिलेरी  का।।

 

पड़ोसी जान कर हमने उसे हर बार बख्शा  है।
आखिर कब तक मजालेगा ये चूहासिंह सवारी का।

 

उठो सब एक हो जाओ वतन की आन की खातिर।
भुलाकर वैर आपस के बहा दो खूं गद्दारी का।।

 

अमन और  चैन  फैलाया “कुमार “शांत रह कर।
ज़माना जलवा अब देखे हमारी बेकरारी का।।

 

 

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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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