ढूंढता हूं रास्ता !
( Dhoondhata hoon raasta )
मैं वफ़ा का रोज ही वो ढूंढ़ता हूं रास्ता!
रात दिन दिल में ही ऐसा सोचता हूं रास्ता
रास्ता कोई बताता ही नहीं कैसा नगर
हर किसी से उसके घर का पूछता हूं रास्ता
राह में चाहे कितनी भी दग़ा मुझको मिले
पर वफ़ाओ का नहीं मैं छोड़ता हूं रास्ता
दोस्ती का जानता हूं रास्ता मैं प्यार का
दुश्मनी का मैं नहीं ये जानता हूं रास्ता
वो नहीं आया वादा करके गया था आने का
रोज़ उसका मैं ए आज़म देखता हूं रास्ता
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शायर: आज़म नैय्यर
( सहारनपुर )