लग रहा जैसे हो सजा जीवन
लग रहा जैसे हो सजा जीवन
लग रहा जैसे हो सजा जीवन!
इस कदर ग़म से भर गया जीवन
जी न पाया कभी ख़ुशी के पल
ग़म की भट्टी में यूँ जला जीवन
एक पल की ख़ुशी की चाहत में
बस भटकता रहा मेरा जीवन
ग़म ही ग़म हैं मेरी तो क़िस्मत में
रब ने कैसा मुझे दिया जीवन
वो भी तरसे ख़ुशी को ऐ ‘आज़म’
जिसने ग़म से मेरा भरा जीवन !
️
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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