मौन | Laghu katha maun
मौन
( Maun )
सुधा ने अपने पति से पूछा रोज की तरह उसकी आदत थी बाहर जा रहे हो कब तक लौट आओगे l यह जानकारी वह जानकारी हासिल करने के लिए नहीं लेती थी l या उन पर पहरेदारी नहीं करती थी l
बल्कि वह जानना चाहती थीl यदि देर से आ रहे हैं तो फिर कुछ खाना बनाकर खिला दिया जाए जब तक पति नहाए धोए पूजा की तब तक पत्नी ने पुलाव बना दिया था l
सुधा ने किचन से ही पूछा टिफिन लगा दूं l प्रतिउत्तर में ना सुनाई दिया l सुधा बोली ठीक है l तो थोड़ा खा कर चले जाओ l इतना उसका कहना ही था पति ने तुरंत कहा खा- खा कर मर जाओ l तुम्हारा काम ही क्या है l खाना बनाना और खिलाना l
पर सुधा शांत रही और मुस्कुरा दी जानती थी इस इस समय मौन रहना ही उचित है l क्योंकि खाने वाले का स्वाद चला जाएगा l वो तन्मयता से नहीं खाएगाl l
साथ ही पत्नी का एक धर्म यह भी होता है कि वह पति का ख्याल रखें मौन स्वास्थ्यवर्धक था उस समय l उसके पति के भविष्य के स्वास्थ्य के लिए l
मौन भी एक संस्कार है l जो मां से बेटी में आता है और बहुत से विवादों को रोक पाता है l सुधा को आत्मिक संतुष्टि थी कि पति ने कुछ खा लिया है l