किसान | लघूलेख

राष्ट्र की आत्मा किसान ही हैं इसमें कोई संदेह नहीं । हमारे भारत देश की अर्थव्यवस्था किसानी पर ही निर्भर हैं । जिस किसान को हम देश की आत्मा मानते हैं वही किसान अन्नदाता आज कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या कर रहा हैं ।

आज भारत अधूनिक युग की ओर अग्रसर हो रहा हैं देश में बहुत कुछ बदलाव आ गयें हैं शहर-नगर-प्रांत का विकास जोर पकड़कर आगे की ओर गतिशील हो रहा हैं लेकिन हमारे किसान की प्रगति में कुछ चित्र बदल जरूर गयें हैं लेकिन उस बदलाव में गरीब किसान कंही पिछे छूटा हुआ हीं हमें नजर आता हैं ।

किसान अवसाद में हीं पैदा होता हैं अवसाद में ही जीता हैं और अवसाद में हीं मर जाता हैं ..नहीं दे पाता वह अपनें पत्नी को हर त्यौहार पर मन चाही खुशी और उन झुर्रियों को रोक नही पाता जो समय से पहले ही अवसाद और चिंताग्रस्त परिस्थिति के कारण उसकी पत्नी के चहरे पर जम गई हैं और बच्चों को बचपन के सुख नये कपड़े नही दे पाता स्कूल का खर्च भी वह नहीं उठा पाता।

गरीबी के चलतें खेत में दिन रात सुब्ह- शाम गर्मी में बरसात में वह अपना खून पसीना बहाकर भी साहूकार और सरकार के कर्ज संकट से जीवन भर घिरकर रहता हैं ।

वह जमीन का मालिक होकर भी एक नौकर बन जाता हैं और जब वर्षा नहीं होती हैं अकाल पड़ जाता हैं या जब अधिक वर्षा होकर फसल पानी में डूब जाती हैं तब वह मजबूर हो जाता हैं शहर-नगर-प्रांत में पलायन करनें के लिए और बन जाता हैं ।

किसान से एक मजदूर और फिर से पूँजीपतियों द्वारा शोषण का बनता जाता हैं शिकार.. किसान के आने वाले भविष्य के लिए हमारे सरकार का कर्तव्य बनता हैं की किसान को कर्ज संकट से मुक्त किया जाए ।

खेती के लिए अधूनिक स्तर के संसाधन और उपकरण कम दाम में दिए जाने चाहिए और किसान के बच्चों को शिक्षा मुफ्त दी जानी चाहिए और उनके खेती में जो भी अनाज उत्पादन होगा उस अनाज को साहूकार और बिचौलियों से सुरक्षित किया जायें यह हमारे अन्नदाता किसान के लिए सरकार का कर्तव्य बनता हैं ।

जब तक किसान गरीब हैं तब तक हमारा देश गरीबी रेखा के नीचे ही रहेंगा जब हमारा किसान धनवान बनेगा तब हमारा भारत देश भी एक धनवान देश में गिना जायेगा..
किसान की प्रगती हमारे राष्ट्र की प्रगती होगी …
किसान के जीवन में दीवाली और होली पर्व में प्रकाश उतरेगा तभी हमारा भारत प्रकाशमय बनेगा और हम सब आनंदित होगें ।

हमारा अन्नदाता खून पसीना बहाकर जमीन से सोना उगाता हैं जिस समय हम उसके खून पसीने की उसके मेहनत की कदर करेंगे और मोतियों की भाँति चमकते हुए अन्न के दानों की कदर करेंगे तभी हम और हमारे देश का भविष्य सोने की तरह चमककर उज्ज्वल बनेगा ।

भारत देश सुखी ,समृद्ध और उन्नत देश कहलाया जायेगा सामाजिक विकास और आर्थिक प्रगति राजनितिक स्तर में देश के किसान की प्रगति और उन्नति सबसे उपरी स्तर पर आती हैं …।

Shubhangi  Chauhan

चौहान शुभांगी मगनसिंह
लातूर महाराष्ट्र

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