नज़रों से मेरे

नज़रों से मेरे | Nazaron se Mere

नज़रों से मेरे

( Nazaron se Mere )

नज़रों से मेरे अपनी नज़र जब मिला गया
इस दिल में गुल मुहब्बतों के वो खिला गया

रुसवा हैं देते हमको न पैग़ाम वो कोई
मिलने मिलाने का भी तो अब सिलसिला गया

शरमा रही थी चांदनी भी आज चाँद से
उसको शराब आँखों से कोई पिला गया

वो मूल भी न इश्क़ का कर पायें हैं अदा
जीता जो मुश्किलों से था दिल का किला गया

तन्हा सफ़र है ज़ीस्त का सुनसान राह अब
बेटा गया जो घर से लगा क़ाफ़िला गया

नज़रें झुका के आये वो जब मेरे सामने
हम भूले सब शिकायतें शिकवा गिला गया

लख़त-ए-जिगर ही उसका जो उससे हुआ जुदा
मीना का ग़म तो दिल को मेरे भी हिला गया

Meena Bhatta

कवियत्री: मीना भट्ट सि‌द्धार्थ

( जबलपुर )

यह भी पढ़ें:-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *