Lanka Dahan Par Kavita

लंका दहन | Lanka Dahan Par Kavita

लंका दहन

( Lanka Dahan )

 

जामवंत ने याद दिलाया हनुमत सब बल बुद्धि समाया।
सौ योजन सिंधु कर पारा रामभक्त है बजरंग अवतारा।

 

सीता माता की सुधि लेने जब हनुमान जी धाये।
लंका में जा अशोक वाटिका मां सीता दर्शन पाए।

 

मुद्रिका डाली सन्मुख सिया राम नाम गुण गाए।
विस्मित माता सीता बोली कौन है सन्मुख आए।

 

अंजनी का लाल हनुमत राम दुलारा राघव प्यारा।
रामभक्त राम काज करने आया रघुनंदन प्यारा।

 

सुंदर फल फूल दर्श वाटिका मुझको भूख सताती है।
हलचल हुई उपवन में तब राक्षस सेना दौड़ी आती है।

 

तरुवर तोड़े वाटिका उजाड़ी अक्षयकुमार को मारा है।
बह्मपाश में बांधने आया घननाद लंकापति दुलारा है।

 

आग लगा दी पूंछ में कहा वानर को पूंछ बहुत प्यारी।
लपट लपट लंका दहकी जल उठी स्वर्ण नगरी सारी।

 

पूंछ बुझाई जा सागर में तब हनुमान जी वाटिका आये।
माता दो कुछ हमको निशानी हम भगवन तक ले जाए।

 

चूड़ामणि माता सीता ने उतार हनुमंत को जब दीन्ही।
अष्ट सिद्धि नव निधियां मां ने रामदूत के नाम कीन्ही।

 

जय श्रीराम जय श्रीराम हुंकार भरी हनुमान ने।
सारे वानर सागर तट आए चले राम दरबार में।

 

?

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *