Barasane ki Radhe
Barasane ki Radhe

बरसाने की राधै

( Barasane ki Radhe )

 

वृंदावन में बसे गोवर्धन गिरधारी,
बरसाने की राधै रानी लगे प्यारी।
यमुना किनारे राधा श्याम पुकारे,
खोजते- खोजते राधा रानी हारी।।

मुरली बजाते आये कृष्ण-मुरारी,
राधा रानी पानी घघरी लेके आई।
दोनों यूँ मिले क़दम पेड़ के नीचे,
बहुत दिनों से नही मिले हो जैसे।।

राधा के बिन जैसे श्याम है आधे,
दिल न धड़के जैसे एक दूसरे के।
प्यार जिनका दुनियां याद करती,
प्रेम दिवाने राधै-श्याम को रटती।।

प्रेम में इनके श्याम क्या क्या बनें,
कभी बनें छलिया कभी कन्हैया।
जगह का नाम बरसाना रख दिये
याद करें उनको आज ये दुनियां।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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