प्रभु हेतु प्रेम पाती | Love for the Lord
प्रभु हेतु प्रेम पाती
कोई तो पहुंचा दो,
मेरे प्रेम की पांति।
नील गगन के पार,
रहते हैं मेरे साथी।
कोई तो पहुंचा दो,
मेरे प्रेम की पांति।।
लिखी हूंँ अंँसुवन जल से।
हृदय के अंतस्थल से।
तपे हृदय कुम्हार की,
अंवे की है भांति।
कोई तो पहुंचा दो,
मेरे प्रेम की पांति।।
उनसे आप यह कहना।
अलग कहीं नहीं रहना।
उनसे अलग मेरे लिए,
सुख भी दुख है लाती।
कोई तो पहुंचा दो,
मेरे प्रेम की पांति।।
प्रभु मेरे प्राण के प्राण।
लगा रहे उनमें ध्यान।
प्रभु से ही जले है,
मेरे जीवन की बाती।
कोई तो पहुंचा दो,
मेरे प्रेम की पांति।।
रचयिता -श्रीमती सुमा मण्डल
वार्ड क्रमांक 14 पी व्ही 116
नगर पंचायत पखांजूर
जिला कांकेर छत्तीसगढ़
रचयिता – श्रीमती सुमा मण्डल
वार्ड क्रमांक 14 पी व्ही 116
नगर पंचायत पखांजूर
जिला कांकेर छत्तीसगढ़