अरज सुनो माते | Araj Suno Mate
अरज सुनो माते
( Araj Suno Mate )
हर जनम तुमको मनाती।
सर्वस्व को मैं हूँ पाती।
इस जनम भी मिला दो मांँ।
प्रभु चरण घर दिला दो मांँ ।
प्राण हीन मैं उनके बिना ।
मर-मर हो रहा है जीना।
खुशी के प्रसुन खिला दो मांँ ।
प्रभु चरण घर दिला दो मांँ ।
कब से प्रतीक्षा कर रही हूंँ।
आस में धैर्य धर रही हूंँ।
परमानंद रस पिला दो मांँ।
प्रभु चरण घर दिला दो मांँ।
तुम कल्याणी हे शिवानी!
पोंछ दो अखियों का पानी।
मुझ निष्प्राण को जिला दो मांँ ।
प्रभु चरण घर दिला दो मांँ।
रचयिता – श्रीमती सुमा मण्डल
वार्ड क्रमांक 14 पी व्ही 116
नगर पंचायत पखांजूर
जिला कांकेर छत्तीसगढ़