मदद बनी मुसीबत
इंटर कॉलेज के प्रधानाध्यापक राकेश सर ने प्रार्थना सभा में ही कक्षा 11 के छात्र सोहन को खड़ा करके प्रश्न किया-
“बेटा सोहन, कल मैंनें तुम्हें अतरासी चौराहे पर बाइक से जाते हुए देखा था। तुम्हारे पीछे एक व्यक्ति बैठा हुआ था। ऐसा लग रहा था कि उसने शराब पी रखी थी। वह क़ई बार गिरने से बचा। वह व्यक्ति कौन था? क्या तुम उसको जानते हो?”
“सर, मैं उनको नहीं जानता। अतरासी चौराहे से मैं कुछ सामान लेने के लिए गया था। वापसी में, वहाँ से जब मैं अपने गांव जा रहा था तो उस व्यक्ति ने मुझे हाथ देकर रोका और मुझसे पूछा कि मैं कहाँ जा रहा हूँ? मैंनें उन्हें बताया कि यहीं करीब में 5 किलोमीटर की दूरी पर मेरा गांव है। मैं अपने गांव जा रहा हूँ.. तो उन्होंने मुझसे वहीं तक की लिफ्ट मांगी। उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें जाना तो बहुत दूर है, लेकिन तुम मुझे अपने गांव तक ही लिफ्ट दे दो। इसलिए मैंने उन्हें अपनी बाइक पर बैठा लिया।” सोहन ने बताया।
“बेटा, मदद करना अच्छी आदत है लेकिन इस तरह अनजान व्यक्ति को और वह भी उस व्यक्ति की… जिसने शराब पी रखी हो, जो नशे की हालत में हो.. उसको अपनी बाइक पर बिठाना ठीक नहीं है। अगर रास्ते में उस चक्कर आ गए, अगर वह गिर गया तो आपके लिए मुसीबत हो जाएगी। आप दिक्कत में आ जाओगे।” सर ने सोहन को समझाने की कोशिश की।
“मैं आपकी बातें समझ नहीं पाया। सर, एक तरफ तो आप कहते हो कि इंसान को इंसान के काम आना चाहिए, उसकी मदद करनी चाहिए और दूसरी तरफ आप बोल रहे हो कि मुझे इस तरह अनजान व्यक्तियों की मदद करने से बचना चाहिए। क्यों?” सोहन से सवाल किया।
“बेटा, तुम मुझे गलत समझ रहे हो। मैं मदद करने से किसी को नहीं रोक रहा। मदद करने से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि हम मदद सही व्यक्ति की करें। ये देखें कि जिसकी हम मदद करने जा रहे हैं.. सच में उसको हमारी मदद की जरूरत है या नहीं।
कहीं ऐसा न हो कि वह हमारी दयालु प्रवृत्ति का फायदा उठाकर हमारे लिए ही मुसीबत खड़ी कर दे। जिस तरह के आपराधिक मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं, उससे सबक लेकर सावधानी बरतनी बहुत आवश्यक है। जिन रास्तों पर आप चल रहे हो, अगर वहां ट्रांसपोर्ट की सुविधा है तो उस दशा में किसी अनजान व्यक्ति, अनजान महिला या किसी बुजुर्ग को भूलकर भी अपनी बाइक पर लिफ्ट ना दें।
आपकी मदद आपके लिए सरदर्द बन सकती है। बुजुर्ग व्यक्ति अगर संभलकर ना बैठ सके तो उनको चोट लग सकती है, वह गिर सकता है। इसके अलावा अनजान व्यक्ति या अनजान लड़की/महिला आपको रास्ते में रोककर, चोट पहुंचाकर आपको लूट सकते हैं, बाइक चोरी कर सकते हैं।
लड़कियां तो इस मामले में बहुत आगे हैं। अकेली लड़की या महिला को लिफ्ट देना खतरे से खाली नहीं है। अतः आप जैसे टीन ऐज के लड़कों को तो.. खास तौर से खूबसूरत अनजान लड़कियों को लिफ्ट देने से बचना चाहिए।” सर समझाते हुए बोले।
“सर, हम आपकी बात समझ नहीं पाये।” भरी प्रार्थना सभा में चर्चा होने लगी कि सर आखिर कहना क्या चाहते हैं?” सर ने सबको शांत कराया और कहा-
“मैं आपको हाल फिलहाल की कुछ सच्ची घटनाएं बताता हूँ। कुछ घटनाओं का मैं साक्षी भी हूँ। उसके बाद आप सभी निर्णय करना कि मैं कहाँ तक सही हूँ? मेरा ऐसा बोलना कहाँ तक सही है?”
घटना नम्बर एक:- एक लड़का बाइक पर जा रहा है। उसको रास्ते में खूबसूरत लड़की मिलती है। वह उसको बाइक पर बैठा लेता है। सुनसान रास्ते में लड़की अपने पैरों का एक सैंडल(चप्पल) गिरा देती है और बाइक रुकवा कर उस लड़के से विनती करती है कि वह उसका सैंडल उठा कर ले आए। लड़का बाइक वहीं छोड़कर पैदल चप्पल लेने निकल पड़ता है। लड़की उसकी बाइक में चाबी लगी देखकर.. बाइक स्टार्ट करके भाग जाती है। लड़का खड़ा देखता रह जाता है। यहाँ लड़के को मदद करने का फल मिलता है।
घटना नम्बर दो:- एक लड़के से एक पड़ोसी गांव की लड़की ने शहर जाने को लिफ्ट ली, लेकिन देर रात तक लड़की अपने घर न पहुँची। लड़की को ढूंढना शुरू किया गया। किसी ने बताया कि लड़की को अमुक लड़के के साथ शहर जाते हुए देखा गया था। अब उस लड़के से पूछताछ की गई।
उससे अभद्र व्यवहार किया गया, उसको पीटा गया। उसको लड़की गायब करने का दोषी माना गया। दो दिन बाद जब लड़की वापस आई तो पता चला कि लड़की अपने बॉयफ्रेंड के साथ भाग गई थी। उसको बस स्टैंड पहुँचने में देर हो रही थी इसलिए उसने उस लड़के से लिफ्ट ली। यहाँ भी लड़के को लड़की की मदद करने का फल मिला।
घटना नंबर तीन:- एक लड़के ने एक लड़की को लिफ्ट दी। दो बाइक पर सवार चार व्यक्तियों ने उस लड़के की बाइक का पीछा किया और सुनसान जगह देखकर ओवरटेक करके उस लड़के पर लड़की भगाकर ले जाने का आरोप लगाते हुए.. गाली गलौज करते हुए बाइक रूकवाई। बाइक रोकने पर उस लड़के को बुरी तरह पीटा गया। लड़का जब तक समझ पाता, तब तक वे लोग उसकी बाइक लेकर भाग गए। लड़की भी उनके साथ बाइक पर चली गई। सब कुछ सोची समझी रणनीति के तहत हुआ। यहाँ भी लड़के को मदद करनी भारी पड़ गई।
घटना नंबर चार:- एक व्यक्ति ने एक बुजुर्ग को लिफ्ट दी। बुजुर्ग व्यक्ति बहुत कमजोर था। रास्ते में अचानक आए जानवर की वजह से व्यक्ति को ब्रेक लगाने पड़े। बुजुर्ग व्यक्ति अपना संतुलन संभाल न सका। बाइक से नीचे गिर गया और उसका सिर सड़क पर लगने से उसकी मौत हो गई। बाइक सवार को बुजुर्ग की मौत का जिम्मेदार ठहराया गया और सब ने बीच सड़क पर उसको पीटा। तेज बाइक चलाने का आरोप लगाकर पुलिस में उसकी रिपोर्ट दर्ज करवा दी, जेल भेज दिया।
घटना नंबर पाँच:- एक लड़के ने एक लड़की को लिफ्ट दी। उस लड़की ने रास्ते में बाइक पर चलते हुए, एक सुनसान जगह देखकर उस लड़के को एक सुई चुभो दी। लड़के को लगा कि किसी कीड़े (ततैया) ने उसको काट लिया है। कुछ देर बाद लड़के को बेहोशी का असर होना शुरू हो गया। उस लड़के ने बाइक साइड में लगाई और लेट गया। मात्र एक मिनट में वह गहरी नींद में चला गया। जब होश आया तो उसकी बाइक और वह लड़की दोनों गायब थे।
घटना नंबर छह:- दो व्यक्तियों को पैसों की आवश्यकता थी। उन्होंने एक अनजान लड़के से रात के समय लिफ्ट ली। अंधेरे सुनसान रास्ते में पेशाब करने का बहाना बनाकर बाइक रुकवाई और उस लड़के को जान से मार दिया। उसके पैसे छीन लिए और बाइक लेकर चले गए।
घटना नंबर सात:- एक सुनसान रास्ते पर एक महिला अपनी गोद में एक बच्चा लिए जा रही थी। भरी दोपहरी थी। एक व्यक्ति उधर से निकला। उस महिला ने व्यक्ति को हाथ देकर रोका। उस रास्ते पर यातायात की कोई सुविधा न होने के कारण उस व्यक्ति ने तरस खाकर उस महिला को अपनी बाइक पर बैठा लिया।
कुछ दूरी पर उस महिला का बड़ा लड़का और पति भी चल रहे थे। वे दोनों भी जबरदस्ती करके उस व्यक्ति की बाइक पर बैठ गए। वह व्यक्ति डर गया था। पूरे रास्ते बाइक वाले व्यक्ति को पेट्रोल की टंकी पर बैठकर असहज स्थिति में आना पड़ा। उस दिन उसने कान पकड़ लिया कि वह पेट्रोल बचाने के चक्कर में ऐसे सुनसान रास्तों से निकलकर नहीं जायेगा और न ही इन महिलाओं के झांसे में आएगा तथा किसी भी अनजान व्यक्ति को लिफ्ट देने से बचेगा।
प्यारे बच्चों, मैंने आपको सात सच्ची घटनाएं सुनाई, जो हाल फिलहाल में घटित हुई हैं। अब बताओ और सोचो- इन घटनाओं से क्या सीख मिलती है?” सर ने घटनाओं को विस्तार से बताकर प्रश्न किया।
“सर, यही कि अनजान व्यक्ति की मदद करने से बचना चाहिए। हमारी मदद हम पर ही भारी पड़ सकती है।” सब एक साथ बोले।
“मैं बताता हूँ।” सर बोले। उन्होंने पुनः बताना शुरू किया।
“इन घटनाओं को सुनाने का मेरा मकसद सिर्फ इतना है कि हमें अनजान महिलाओ, बुजुर्गों, शराबी लोगों की मदद करने से बचना चाहिए। अगर आपको लगता है कि वास्तव में उस व्यक्ति, महिला या बुजुर्ग को हमारी मदद की जरूरत है और उस रास्ते पर कोई ट्रांसपोर्ट का साधन नहीं चल रहा या देखने से ही ऐसा लग रहा है कि उसको हमारी मदद चाहिए तो मदद जरूर करें।
आपका दिल, आपकी अंतरात्मा कहे तो भी मदद जरूर करें। 70 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों को बाइक पर बैठाने से परहेज करें। अगर कोई उनको पीछे से सपोर्ट देने वाला हो तो ही बिठायें। वैसे तीन लोगों को बैठाने से परहेज करें, ये जानलेवा हो सकता है। सुंदर लड़कियों के जाल में न ही फंसे तो अच्छा है।
ये लड़कियां बहुत शातिर होती हैं। इनका निशाना अकेले लड़के या जवान व्यक्ति होते हैं। इनका बाकायदा एक गैंग होता है। आजकल लोगों को लूटने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। लड़कियों/महिलाओं का सहारा लेकर लोग बड़ी-बड़ी लूट को अंजाम देने लगे हैं। खासतौर पर ऐसी जगह तो ऐसे लोगों की बिल्कुल भी मदद ना करें, जबकि उस रास्ते पर यातायात के साधन चल रहें हो और आसानी से उपलब्ध हो।
वैसे भी जो व्यक्ति घर से बाहर निकल रहा है या कहीं आ जा रहा है तो.. कुछ ना कुछ सोच कर, अपना इंतजाम करके.. यातायात के साधनों के बारे में सोचकर ही निकलता है। सिर्फ परिचित, परिवार के लोगों को ही मदद ऑफर करें। शराबी-कबाबी, अनजान व्यक्तियों, अनजान लड़कियों/महिलाओं से दूरी बनाकर रखें। सिर्फ बाइक की ही बात नहीं है अपितु चौपहिया वाहन तक पर उपरोक्त घटनाएं लागू होती हैं। यहाँ पर आपको सिर्फ उदाहरण बाइक से घटी घटनाओं के दिये गए हैं। मदद जरूर करें, लेकिन जरूरतमंद की करें, सम्भलकर करें।

लेखक:- डॉ० भूपेंद्र सिंह, अमरोहा
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