अहिंसक आंदोलन के सूत्रधार: महावीर स्वामी

मानव समाज में हिंसा आतंक की जड़े बड़ी गहरी हैं। घर परिवार में बात बिना बात के बड़ों द्वारा छोटे को मारना, पति द्वारा पत्नी बच्चों को मारना पीटना छोटी-छोटी बातों में पिटाई कर देना सामान्य बात है। ऐसे ही सामान्य दिनचर्या में भी बात-बात में लड़ाई झगड़ा करना हिंसा के उदाहरण हैं।

वर्तमान समय में परिवार समाज के साथ ही संपूर्ण राष्ट्र विभिन्न प्रकार के लड़ाई झगड़ों में व्यस्त हैं । इस हिंसा की जड़ को आखिर कैसे खत्म किया जा सकेगा । ऐसी स्थिति में महावीर स्वामी जी द्वारा दिखाया मार्ग अमूल हथियार के रूप में संपूर्ण मानवता के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है। देखा गया है कि जो व्यक्ति आंतरिक रूप से परेशान होता है वह बाहर भी हिंसक व्यवहार करता है।

लड़ाई झगड़ा दंगे फसाद वही व्यक्ति करते हैं जिनका हृदय अनेक पीड़ाओं से गुजरता है । जब व्यक्ति योग ध्यान का अभ्यास निरंतर करता है तो धीरे-धीरे उसका मन शांत होने लगता है और जैसे-जैसे उसका मन शांत होता है वह प्रेम से भर जाता है । वह सब के प्रति प्रेम का वर्ताव करता है।

अहिंसक समाज के आधुनिक सूत्रधार आचार्य महाप्रज्ञ का कहना है कि मानव समाज में व्याप्त हिंसा की जड़ को कहने मात्र से खत्म नहीं किया जा सकता है इसके लिए सामाजिक जन जागृति की आवश्यकता है। संपूर्ण विश्व में बढ़ती आतंकवाद हिंसा की जड़ को योग के माध्यम से ही खत्म किया जा सकता है।

वर्तमान समय में एलोपैथी दवाओं का प्रभाव बढ़ता जा रहा है । यह दवाएं जहां एक बीमारी ठीक करती हैं तो दूसरी बीमारी पैदा भी कर देती हैं । नियमित रूप से योग को जीवन का हिस्सा बना ले तो मधुमेह, हृदय रोग , गैस , कब्ज़ ,एसिडिटी घुटने का दर्द आदि बीमारियों से वह मुक्त हो सकता है ।

ऐसी बीमारियों का कारण व्यक्ति की प्राण शक्ति की कमी से हो रही है । जैसे-जैसे प्राण शक्ति बढ़ती है बीमारियां सहज में दूर होने लगती है। इसके अलावा योग में शशांक आसन, साष्टांग प्रणाम, भ्रामरी प्राणायाम , ध्यान का अभ्यास किया जाए तो यह निश्चित है कि हम एक अहिंसक समाज की स्थापना कर सकते हैं ।

संपूर्ण विश्व में शांति महावीर स्वामी के मार्ग से ही आ सकती है। संपूर्ण विश्व की मानवता के लिए योग भारत का दिया हुआ दिव्य वरदान है।

योगाचार्य धर्मचंद्र जी
नरई फूलपुर ( प्रयागराज )

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