मैं क़लम हूं
मैं क़लम हूं
स्वेत रुप है मेरी काया
भेद छल से दूर हूं मैं
निश्छल है मेरी काया
इतिहास लिखा नन्हे कदमों से
भविष्य भी हूं मैं तुम्हारा
हां मैं क़लम हूं
बच्चों का दोस्त हूं मैं
दिलाता हूं उन्हें सफलता प्यारा
जो बिगड़ें बोल बोले कोई
तो कालदण्ड हूं मैं तुम्हारा
हां मैं क़लम हूं
हां मैं कलमकार हूं

नवीन मद्धेशिया
गोरखपुर, ( उत्तर प्रदेश )