समय चुराएं
समय चुराएं

 समय चुराएं 

( Samay churaye )

 

आओ …
समय से कुछ समय चुराएं
शुन्य के सागर में गुम हो जाएं
बीती बातों का हिसाब करें
आने वाले पलों का इंतज़ार करें
भूली यादों को याद करें
बीती चाहतों को ताज़ा करें

 

कुछ बातें इधर की हों
कुछ बातें उधर की हों
इधर – उधर की बातों में
कुछ संवाद हमारे हों

 

इशारों – इशारों में
आंखों से गुस्ताखियां
बेहिसाब हों
धड़कनों में रवानियां
बेमिसाल हों

 

फिर उस चांद को निहारें
जिसे वक़्त के सेहरा में भूले
फिर एक बार तारों को गिनें
और टूटते तारे से कुछ मांगें

 

मुख्तसर लम्हों में डूबें
सुकून की सांसों में जिएं
और फिर एक दूसरे में
खुद से खुद को तलाशें

 

आओ …
समय से कुछ समय चुराएं
शुन्य के सागर में गुम हो जाएं।

 

लेखिका: पूनम सिंह

 

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