Hindi Kavita | Hindi Poetry On Life -यह कैसा व्यवहार
यह कैसा व्यवहार ?
( Ye Kaisa Vyavahar )
अनजाना सफ़र ( Anjana Safar ) महानगर के होटल की पच्चीसवीं मंज़िल से देख रही हूँ चलती हुई रेलगाड़ी को जो सर्पाकार घुमावदार लम्बाई में मानो अजगर सी रेंगती हो रेलगाड़ी के डिब्बे लगते हैं जैसे अजगर के शरीर पर पड़ी धारियाँ जिसने भी रेल का आविष्कार किया होगा उसके हृदय में एक बार तो…
साथ चलो ( Saath chalo ) हर हर हर हर महादेव के, नारे के संग साथ चलो। गंगा के गोमुख से लेकर, गंगा सागर तक साथ चलो। काशी मथुरा और अयोध्या, तक निनाद का जाप करो। जबतक भारत पूर्ण समागम,ना हो तब तक साथ चलो। काश्मीर अपनी है पर, गिलगित और गारों…
पिता ( Pita ) पिता एक चट्टान होता हैl पिता का साया जब होता हैl बेटा चैन की नींद सोता हैl पिता बच्चों के सपनों को अपनी आंखों में संजोता हैl गंभीर रहता है मगर भावनाओं से भरा होता हैl ख्वाहिशों की फेहरिस्त को पूरा कर ही सोता हैl बेटी की विदाई पर पिता…
मेरे जीवन में ये शिक्षक ( Mere jeevan mein ye shikshak ) दीपक की ज्योति बना, अंधकार में रोशनी बना, मार्ग का मार्गदर्शन दिया, बुद्धि का जिसने विकास किया, कलम से जिसने लिखना सिखाया, शब्दों का सही अर्थ बतलाया, टूटे धागों से माला के मोती पिरोना, मुश्किलों में भी धैर्य नहीं खोना, खुद पर…
नेतागिरी (व्यंग ) ( Netagiri – Vyang ) हमहू करबई नेतागिरी झट से आए हमरो अमीरी नेतागिरी में आराम बा सबसे बढ़िया काम बा एक बार जब जीत के जाईब जिवन भर पेंशन हम पाईब जब तक रहिब विधायक सांसद, खूबई पैसा लेब कमाईब हमहू करबई जम के लूट बोलब जनता से खूब झूठ…
तेवर ( Tevar ) शिकायत होने लगी है उन्हें, मेरी हर बात पर हमने भी मान लिया, बेबात की बात में रखा क्या है गरज थी तब, मेरी हर बात थी उनके सर माथे पर, अब तो कह देते हैं बात में ऐसा रखा क्या है दौलत ही बन गया पत्थर पारस ,अब जमाने…