Human skull and crossbones with drug addict, healthcare and medical drugs addition concept

“ऐ कौन है जो मुझसे टक्कर ले सकें,! किसी माई के लाल में हिम्मत नहीं हैं कि मुझसे मुकाबले कर सकें।” सुदेश चौराहे पर आऊ बाऊ बक रहा था।

रोज सायं काल में 9:10 बजे रात तक वह चौराहे पर नशे में घूमता रहता है। इसका अधिकांश समय नशे में ही डूब जाता है।

वह परिवार में सबसे बड़ा था। उसके दो भाइयों एक बहन छोटी थी। जब उसी की शादी नहीं हुई तो अन्य की कैसे हो? चेहरा मुरझाया रहता था।
मां थीं कि उसके भविष्य के लिए हर समय चिंतित रहा करती।

वर्तमान समय में देखा जाए तो नशे का कारोबार अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका है। सरकार भी गांव-गांव में शराब की नदिया बहा रही है।

पहले तो शराब के अड्डे दूर खुलते थे लेकिन अब गांव में और कुछ ना हो लेकिन शराब के अड्डे जरूर मिलने लगे हैं।
इसके अलावा गुटखा पान मसाला आदि की दुकान तो पूछो ही मत। कोई ऐसी किराने की दुकान नहीं होगी जहां पर गुटका न बिकता हो।

आज छोटे-छोटे किशोरावस्था के बच्चे नशे की सहज उपलब्धता के कारण नशे में डूबे रहते हैं। नशा बाजी गांव में एक फैशन बन गया है।

वर्तमान समय में भारत के लिए नशे को रोकना एक राष्ट्रीय समस्या बन गई है। नशा रूपी मौत का अड्डा घर-घर के लिए एक समस्या हो गई है।

नशा करने के बाद घर में लड़ाई झगड़ा करना, पत्नी बच्चों को पीटना आम बात है।

राष्ट्रवाद का नारा देश में बुलंद करने वाली सरकार भी नशे पर कोई ध्यान नहीं दे रही हैं। जब कोई इलेक्शन होता है तो इलेक्शन के समय तो 10 –15 दिनों तक शराब की नदियां राजनेता बहा देते हैं गांव-गांव में।!

सामान्य प्रधानी के चुनाव में भी शराब के नशे में जनता को ऐसा नशा चढ़ाते हैं कि वह अपनी सुध-बुध भूल जाता है। बस बोतल चाहिए नेताजी जहां कहें हुआ ठप्पा लगाई देब।

जब गांव समाज के मुखिया ही जनता को नशे में डूबाकर अपनी कुर्सी बचाना चाह रहे हो तो जनता की जिंदगी तो भगवान ही भरोसे ही है।

जनता को चाहिए कि वह सरकार से मांग करें अपनी सारी मुफ्त की योजनाएं बंद करके नशे पर प्रतिबंध लगाए। जब व्यक्ति शराब जैसे नशे से बचेगा तो ऐसा नहीं है कि वह 5 किलो अनाज नहीं खरीद सकता है।
हमारे महान पुरुष नशे का सदैव विरोध करते थे।

महात्मा गांधी कहते हैं,-“अगर मैं 1 दिन के लिए तानाशाह बन जाऊं तो शराब की सारी दुकानें बंद कर दूंगा।”

गुरु नानक देव जी महाराज का कथन है,-” तंबाकू इतनी अपवित्र वस्तु है कि मानव को दानव बना देती है। तंबाकू के खेत में गाय तो क्या गधा भी नहीं जाता।”

हजरत मोहम्मद साहब कहते हैं,-” अल्लाह ने लानत फरमाई है शराब पीने और पिलाने वाले पर, बेचने और खरीदने वाले पर और किसी प्रकार का सहयोग देने वाले पर। ऐ ईमान वालों शराब तथा दूसरी नशीली चीज हराम है, इन शैतानी चीजों से बचे रहो।”

महात्मा बुद्ध कहते हैं ,-“मनुष्यों तुम सिंह के सामने जाते समय भयभीत न होना वह पराक्रम की परीक्षा है । तुम तलवार के नीचे सर झुकाने से भयभीत न होना वह बलिदान की कसौटी है । तुम पर्वत शिखर से पाताल में कूद पड़ना वह तप की साधना है। तुम बढ़ती हुई ज्वालामुखी से विचलित न होना वह स्वर्ण परीक्षा है । पर शराब से सदा भयभीत रहना क्योंकि वह पाप और अनाचार की जननी है।”

गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य कहते हैं,–” व्यसन मनुष्य के वास्तविक प्राणघातक शत्रु हैं। मादक द्रव्य सेवन करने वाला व्यक्ति दिन-दिन छीड होते-होते अकाल मृत्यु के मुख में चला जाता है । व्यसन मित्र के रूप में हमारे शरीर में घुसते हैं और शत्रु बनकर उसे मार डालते हैं।”
ऊपर हमने देखा कि सभी महापुरुषों ने व्यसन की निंदा की है।

जिस प्रकार से कुत्ता हड्डी चूसता है तो उसके तलवे में हड्डी लगने से खून बहता है। कुत्ता खुद के खून को हड्डी समझकर चूसता ही रहता है। इसी प्रकार से नशेड़ी नशे का रस समझकर इस
कुत्ते जैसा कर रहे होते हैं।

जिंदगी की तलाश करते-करते लोग कब मौत के नजदीक आ जाते हैं पता नहीं चलता।

वर्तमान समय में भारत की जो जवानी राष्ट्र निर्माण में लगी होनी चाहिए वह नशे में डूबी हुई है।।

वर्तमान समय में देश में राष्ट्रवाद का झंडा बुलंद करने वाली सरकार को चाहिए कि नशे पर तुरंत प्रतिबंध लगाये।वर्तमान समय का राष्ट्रभक्ति नशा मुक्ति ही है।

नशे के चक्कर में हर घर बर्बाद हो रहा है। एक दिन था जब लोग अपने मेहमानों का स्वागत दूध, दही, शरबत ,मक्खन, मलाई आदि स्वादिष्ट पदार्थ से किया करते थे परंतु आज मेहमानों का स्वागत बीड़ी, सिगरेट, हुक्का चिलम, गुटखा ,तंबाकू ,शराब आदि से करते हैं।

नशे में डूबे वाले लोगों को देखा गया है कि कभी-कभी गुस्से में अपनी पत्नी बच्चों तक की हत्या कर देते हैं। दुनिया में जितनी एक्सीडेंट होते हैं उसमें अधिकांश का कारण व्यक्ति का नशे में ड्राइविंग करना होता है। नशे में ही वह लड़ाई झगड़ा अधिकांश करता है। वह क्या बोल रहा है कभी-कभी उसे खुद भी नहीं पता होता है।

यदि कोई भूल से ,धोखे से मदिरा पी ले तो उसका प्रायश्चित करने से शुद्ध हो सकती है, पर जो जानबूझकर पीता है उसका प्रायश्चित तो प्राण त्यागने के बाद ही होता है।

विश्व विजेता नेपोलियन बोनापार्ट अपने सैनिकों से कहता था कि,–“दुश्मन की अपेक्षा शराब से अधिक सावधान रहो! याद रखो सिर्फ संयमी सेना की विजय हो सकती है।”

पहले व्यक्ति स्वयं नशा करता है धीरे-धीरे नशा उसे करने लगता है। फिर यह नशा व्यक्ति की जिंदगी बर्बाद करके ही छोड़ता है।

हमारे क्षेत्र के एक जर्दा वालों ने जगह-जगह तो धर्मशालाएं और दान पुन्य बहुत किया लेकिन उनकी जर्दा से कितने परिवार नष्ट हुए होंगे इसकी कल्पना नहीं की जा सकती हैं।

अधिकांश मौत के सौदागर हमें बहुत दान पुण्य करने वाले दिखते हैं। एक तरफ तो जहर बेच करके यह लोग जनता को मारते हैं दूसरी तरफ अपनी भक्ति दिखाते हैं। जनता की जीवन से यह मौत के सौदागर सौदा करने वाले समाज में बड़े प्रतिष्ठा कायम कर लेते हैं क्योंकि हराम की कमाई जमकर लूटाते भी हैं।

जनता को चाहिए कि नशे का नफा नुकसान स्वयं समझे। नशे से बचने में ही उसकी भलाई है। आप नशे से दूर रहेंगे तभी आपका परिवार खुशहाल रहेगा।
नशे से बचने के लिए ऐसे मित्रों को त्याग दीजिए जिनकी संगत में आप नशा करते हैं।

दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ नशे को त्यागा जा सकता है। नकारात्मक विचारों से दूर रहे हैं ,नशा नहीं करूंगा तो दस्त साफ नहीं होगा, चाय नहीं पियूंगा तो सर दर्द होगा, जैसी बातें मन में ना बैठाएं ।
अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य की खातिर आपको संकल्प लेना चाहिए कि भविष्य में कभी कोई नशा नहीं करेंगे ।
नशे को दूर भगाना है खुशहाली को लाना है।
रामराज आएगा तब, नशा प्रतिबंधित होगा जब।

सरकार को भी चाहिए कि रामराज्य की कल्पना को साकार करना है तो नशे पर कढ़ाई के साथ पूर्ण प्रतिबंध लगाए। नहीं तो राम राज्य का झूठा ख्वाब जनता को ना दिखाएं।

नोट – इस कहानी की सार्थकता तभी है जब आप नशे से मुक्त हो।
इसको पढ़ने के साथ ही आज से ही नशा नहीं करने का संकल्प ले।

 

योगाचार्य धर्मचंद्र जी
नरई फूलपुर ( प्रयागराज )

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