मेरे होठों की ही शाइरी बन जा तू
मेरे होठों की ही शाइरी बन जा तू
मेरे होठों की ही शाइरी बन जा तू
ऐसी मेरी सनम जिंदगी बन जा तू
सोचता हूँ ये मैं काफ़ती रुह है
की न मुझसे कहीं अजनबी बन जा तू
दूर क्यों रहता है यूं भला मुझसे ही
मेरे दिल की सनम आशिक़ी बन जा तू
प्यार की सांसों में मेरी तेरी बू हो
मेरे सांसों की सनम वो कली बन जा तू
प्यार का तेरे उतरे न ये ही नशा
मेरे होठों की वो मयकशी बन जा तू
दूरियां यूं न कर प्यार में ए सनम
उम्रभर के लिए रहबरी बन जा तू
ग़म होने का ही अहसास मुझको न हो
जिंदगी की मेरी ख़ुशी बन जा तू
तू जुदा आज़म से मत कभी भी होना
उम्रभर के लिए दोस्ती बन जा तू