मेरी सुबह मेरी शाम

( Meri subah meri shaam )

 

मेरी सुबह भी तुम
मेरी शाम हो
मेरे चेहरे की हर मुस्कान हो
कुदरत भी ठहर जाए
जिसे देखकर
बारिशों में भीगी तुम ऐसी शाम हो

मेरी सुबह भी तुम
मेरी शाम हो
इतरा रहे हैं बाग
जिन फूलों को देखकर
उन फूलों की महकती
खुशनुमा एहसास हो

मेरी सुबह भी तुम
मेरी शाम हो
बदल रही है सृष्टि
जिन “नवीन “हवाओं से
उन हवाओं में महकती
“नवीन “एहसास हो
मेरी सुबह भी तुम
मेरी शाम हो
मेरी बंदगी में भी तुम खास हो
पर क्या तुम मेरे साथ हो
हां शायद तुम मेरे साथ हो

 नवीन मद्धेशिया

गोरखपुर, ( उत्तर प्रदेश )

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शब्द | Shabd

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