अगर तुम कहो | Nagma Agar Tum Kaho
अगर तुम कहो
( Agar Tum Kaho )
गुल वफ़ा के लुटा दूं अगर तुम कहो।
राह में दिल बिछा दूं अगर तुम कहो।
आओ तो इस तरफ़ जाने जानां कभी।
कर दूं क़ुर्बान तुम पर मैं यह ज़िन्दगी।
ताज की क्या ह़क़ीक़त है जाने अदा।
ताज मैं भी बना दूं अगर तुम कहो।
राह में दिल बिछा दूं अगर तुम कहो।
तुम ही बतला दो दिलबर के कैसे जिऊं।
मैं ग़म-ए-ज़ह्रे फ़ुर्क़त कहां तक पिऊं।
पूछ लो आ के मेरी भी ह़सरत कभी।
दिल की धड़कन सुना दूं अगर तुम कहो।
राह में दिल बिछा दूं अगर तुम कहो।
तीरगी इन से होती है रूख़सार पर।
धंधला-धुंधला सा लगता है रोशन क़मर।
दिलकशी और बढ़ जाएगी जाने मन।
रुख़ से ज़ुल्फ़ें हटा दूं अगर तुम कहो।
राह में दिल बिछा दूं अगर तुम कहो।
मैंने ढूंढा बहुत पर न पाया कहीं।
तुमसा कोई भी नज़रों में आया नहीं।
हो तुम्हारा इशारा तो जान-ए-ग़ज़ल।
चांद तारे भी ला दूं अगर तुम कहो।
राह में दिल बिछा दूं अगर तुम कहो।
गुल वफ़ा के लुटा दूं अगर तुम कहो।
राह में दिल बिछा दूं अगर तुम कहो।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसानवी