Natak Vasudhaiva Kutumbakam

वसुधैव कुटुंबकम् | Natak Vasudhaiva Kutumbakam

पात्र परिचय :
1) राष्ट्रपति महोदया : उम्र 55 वर्ष।
2) मुख्यमंत्री : उम्र 45 वर्ष।
3) एजुकेशन मिनिस्टर : उम्र 42 वर्ष ।
4) रामू ,कालू ,रीता,
लीना : उम्र 25 से 30 वर्ष।
4) अंग्रेजी टीचर रॉक्सन उम्र 40 वर्ष ।
5) हिंदी टीचर : मोहन कुमार – उम्र 45 वर्ष ।
6) सभी स्कूल प्रिंसिपल उम्र 55 से 60 वर्ष।
7) स्पिरिचुअल टीचर सुधा रानी – उम्र 42 वर्ष।
8) अंग्रेजी स्पिरिचुअल टीचर- मैरी उम्र 48 वर्ष।
9) आईएएस अधिकारी श्रीमती विमला जी-उम्र 50 वर्ष।
10) समाज सुधारिका
श्रीमती वैष्णवी – उम्र 52 वर्ष।
11) अध्यापक जी- उम्र 35 वर्ष।

मंच व्यवस्था:
मुख्यमंत्री जी की टेबल के बीचों बीच भारतीय संविधान की पुस्तक रखी है। बाबासाहेब अंबेडकर, गौतम बुद्ध,गांधी जी,सरदार वल्लभ भाई पटेल, की तस्वीरें ऊपर दीवार पर शोभायमान हैं।

सामने दीवार पर बड़ा सा एलईडी टी. वी लगा है।जिस पर महामहिम राष्ट्रपति महोदया के भाषण का प्रसारण चल रहा है।
मुख्यमंत्री जी अपनी कुर्सी पर बैठे बैठे महामहिम राष्ट्रपति महोदया का भाषण ध्यान से देख सुन रहे हैं।
पर्दा उठा।

26 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट परिसर में बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की फोटो का अनावरण करते हुए महामहिम राष्ट्रपति महोदया द्रौपदी मुर्मू।

जस्टिस और सभी आईपीएस के सामने महामहिम राष्ट्रपति महोदया का भाषण।
(नेशनल पुलिस अकादमी आईपीएस की ट्रेनिंग में )” मुझे इस गीत के बोल बहुत महत्वपूर्ण लगते हैं जो मैं यहां दोहराना चाहती हूं:” हर दिशा से चुनकर आए।
हर दिशा से चुनकर आए।
कुछ ऐसा हम कर जाएं।
व्यक्तित्व तराशें ऐसा ।
जो मुल्क के काम आ जाए।…..भारत के हर नागरिक को सशक्त ,निष्पक्ष और संवेदनशील भी होना चाहिए।…”
फिर संविधान की प्रस्तावना यानी कांस्टीट्यूशन प्रिंबल को दोहराती है और कहती हैं कि “राष्ट्र की प्राथमिकता है कि राष्ट्र का हर व्यक्ति आत्म सम्मान प्राप्त करें समता और सहयोग से देश चले।”

मुख्यमंत्री जी महामहिम राष्ट्रपति महोदया के भाषण को बहुत ध्यान से सुनते रहे और प्रभावित होते रहे ।जब भाषण खत्म हो गया तो अपनी चेयर से खड़े होकर राष्ट्रपति जी को सैल्यूट करते हैं और कहते हैं कि” महामहिम जी मैं आप की इच्छा जरुर पूरी करूंगा। आज से ही मैं यह काम अपने हाथ में लेता हूं।” फिर
मुंह ही मुंह में बोलते हैं “कल करे सो आज कर।आज करे सो अब। पल में प्रलय होएगी। बहुरि कहा करेगा तब?”…मैं अभी से ही काम शुरू करता हूं।”
प्रकाश मद्धम
प्रकाश गुल ( क्षणिक)
पर्दा गिरा।

पर्दा उठा।

मुख्यमंत्री एजुकेशन मिनिस्टर को फोन लगाते हैं – रिंग बज ती है। ट्रिंग.. ट्रिंग ..ट्रिंग…।
फोन से एजुकेशन मिनिस्टर की आवाज “हैलो।
नमस्कार सर।”
मुख्यमंत्री “नमस्कार । नमस्कार। ..
कल मॉर्निंग में आपसे मीटिंग करनी है 9 ओ’क्लॉक।”

एजुकेशन मिनिस्टर “जी सर।जरूर ।मैं सुबह 9 बजे आपसे मिलूंगा।”
प्रकाश मद्धम।
ज्यादा मद्धम
प्रकाश गुल। ( क्षणिक)
पर्दा गिरा।

पर्दा उठा।
मुख्यमंत्री अपने ऑफिस में रखी टेबल पर रखी बैल बजाते हैं। टन्न …. टन्न…।
दरवाजा खुलता है। खssस की आवाज।
रामू (पियोन ) आकर बोलता है “गुड मॉर्निंग सर।”
मुख्यमंत्री ” गुड मॉर्निंग। कैसे हो रामू?”
रामू – (झुकते हुए दोनो हाथ जोड़कर) “ठीक सर।”
मुख्यमंत्री “आज शिक्षामंत्री आएंगे 9 बजे। सबसे पहले उन्हें ही मेरे पास भेजना।”
रामू “जी सर। जरूर।”
दीवार पर टंगी घड़ी को मुख्यमंत्री जी पैर हिलाते हुए देखते जा रहे हैं। 9 बजने को हैं। जैसे ही 9 बजे, दरवाजा खुला और एजुकेशन मिनिस्टर का कमरे में प्रवेश।
शिक्षामंत्री जी दूर से ही हाथ जोड़कर ” “नमस्कार सर।
मुख्यमंत्री “नमस्कार। कैसे हैं?”
एजुकेशन मिनिस्टर “जी सब ठीक हैं।आदेश दीजिए।”
मुख्यमंत्री जी बैल बजाते हैं। टन्न….टन्न..
दरवाजा खुलने की आवाज ” ख ssआस।
रामू का प्रवेश ।
रामू “जी सर। ”
मुख्यमंत्री जी “रामू। दो कप चाय भेजना।”
रामू “जी सर।”
रामू चला जाता है। कमरे का दरवाजा बंद होने की आवाज ” त्थप्प ”
प्रकाश गुल ( क्षणिक)
दृश्य परिवर्तन।

मुख्यमंत्री जी अपनी टेबल पर रखे भगवान बुद्ध की स्टेचू और बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की स्टेचू के सामने नतमस्तक होते हुए एजुकेशन मिनिस्टर से बोले। बाबा साहब ने कहा था ” व्यक्ति में आध्यात्मिकता भी होनी चाहिए। आध्यात्मिकता और अछे चरित्र से हमारा जीवन सुंदर और संतुष्ट बनता है।
एजुकेशन मिनिस्टर भी टेबल पर रखी भगवान बुद्ध और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की स्टेचू के सामने नतमस्तक होते हुए बोलते हैं “जी सर में जानता हूं और अच्छी तरह से मानता भी हूं।”
मुख्यमंत्री : “इसीलिए मैं चाहता हूं कि एक स्टेट लेवल पर लिटरेरी एंड स्पिरिचुअल कंपटीशन ऑर्गेनाइज्ड किया जाए जिससे हमें नागरिकों का मजबूत कैरेक्टर बनाने में सहायता मिले।… ऑर्गेनाइज ए मीटिंग फॉर ऑल स्कूल्स टू बिल्ट स्ट्रॉन्ग कैरेक्टर , स्ट्रॉन्ग अंडरस्टैंडिंग अबाउट स्प्रिचुअलिटी एंड क्रिएटिविटी इन लिट्रेचर।….
26 जनवरी 20023 तक यह काम हो जाना चाहिए।”
एजुकेशन मिनिस्टर  “जी सर मैं कल ही से काम पर लग जाऊंगा और ” स्वतंत्रता दिवस ” के अवसर पर आध्यात्मिक, व्यावहारिक व सामाजिक शिक्षा से ओत प्रोत प्रतिभाओं को ढूंढ कर राष्ट्र को सुपुर्द करूंगा।”
मुख्यमंत्री जी : “ठीक है अब चाय पी लेते हैं। फिर काम पर लग जाएंगे।”
दोनों ने चाय पी सुर …सु र..
एजुकेशन मिनिस्टर  “अब सर आज्ञा दीजिए। मैं अपने काम पर अभी से लग जाता हूं।”
मुख्यमंत्री जी” हां। आप काम पर लगिए । मुझे पूरा विश्वास है कि आप होनहार प्रतिभाओं को चुनकर अवश्य लाएंगे और वे सभी प्रतिभाएं भविष्य में आध्यात्मिक शिक्षा का प्रचार व प्रसार करके राष्ट्र निर्माण के साथ ही विश्व निर्माण में “वसुधैव कुटुमबकम”
की युक्ति को चरितार्थ करेंगे।”
मीटिंग समाप्त
प्रकाश मद्धम
प्रकाश गुल
पर्दा गिरा।

पर्दा उठा।
एजुकेशन मिनिस्टर सभी स्कूल के सभी प्रांसिपलों को बुलाते हैं। सभी प्रांसिपल से प्रतियोगिता आयोजित करने को कहते हैं।

केंद्रीय विद्यालय आर के पुरम दिल्ली स्कूल के
प्रिंसिपल “ओके सर। बट टाइम इज सो लैस। सो प्लीज एलाऊ अस टू डू ऑर्गेनाइज दिस कंपटीशन ऑनली फॉर कविताएं और लघुकथाएं।”
एजुकेशन मिनिस्टर  (कुछ सोचने बाद)
“ओके।..
बट डू फास्ट।”

मीटिंग खत्म।
प्रकाश मद्धम
प्रकाश गुल ( क्षणिक )
दृश्य परिवर्तन।

ग्रेटर कैलाश स्कूल के प्रिसिपल रिंग अ रिंग।
दरवाजा खुलने की आवाज।
कालू कमरे में प्रवेश करते ही हाथ जोड़कर कहता है “नमस्कार साहेब।”
प्रिंसिपल “नमस्कार।नमस्कार। कालू…
इंग्लिश लिटरेचर टीचर रॉकसन को भेजो।”
कालू “जी साहेब।”
वह चला जाता है । दरवाजा बंद होने की आवाज। “ठएस”
कुछ देर में दरवाजा खुलने की आवाज। “खएस”
रॉक्सन का प्रवेश। रॉक्सन हाथ जोड़ते हुए “गुड मॉर्निंग सर।”
प्रिंसिपल  “गुड मॉर्निंग । हाउ मैनी एंट्री फॉर्म्स यू गोट?”
रोक्सन  “सर इट्स फाइव।”
प्रिंसिपल “ओके ओके प्लीज इन्फॉर्म टू दोज स्टूडेंट फॉर प्रिपेयरिंग देयर पोयम्स टू रिसाइट और मेक स्योर ऑल प्वाइंट्स शूड बी देयर क्रिएशंस ऑनली । ऐंड ऑल पोयम्स मस्ट हैव सोशल मैसेज आल्सो टू मेक गुड कैरक्टर्स।”
रोकसन”ओके.. ओके .आई विल इंस्ट्रक्ट देम देट देयर ऑल पोएम्स शुड बी रिटन बाय देम ओनली एंड ऑल पोएम्स मस्ट हैव सोशल मैसेज।”

प्रांसिपल “नाउ यू कैन गो।”
रोक्सन “ओके सर। थैंक्यू।”
चला जाता है। दरवाजा खुलने की व बंद होने की आवाज आती है। “खए स..। धए क।”
पर्दा गिरा।

पर्दा उठा।

राजौरी गार्डन केंद्रीय विद्यालय के प्रिंसिपल मेज पर रखी रिंग को बजाते हैं।
टीटू  (कमरे में प्रवेश करते ही हाथ जोड़कर) “नमस्कार साहेब।”
प्रांसिपल “हिंदी टीचर मोहन कुमार जी को बुलाओ।”
टीटू “जी साहब अभी बुलाता हूं।”
चला जाता है।दरवाजा बंद होने की आवाज । “धएस”

दरवाजा खुलने की आवाज “खाए स”
हिंदी टीचर मोहन कुमार। (प्रवेश करते ही हाथ जोड़कर ) “नमस्कार सर।”
प्रिंसिपल “नमस्कार। नमस्कार।”….
मोहन कुमार जी हिंदी कविता के लिए कितने फॉर्म आए हैं?”
मोहन कुमार “सर 15 फॉर्म आए हैं।”
प्रिंसिपल मोहन कुमार जी सभी विद्यार्थियों को सूचित करें कि वह कविता बोलने का अभ्यास करें ।कविता उनके द्वारा ही लिखी गई हो । यह भी उन्हें सूचित करें की कविता मौलिक होनी चाहिए और कविता से कोई सामाजिक संदेश मिलना चाहिए।
मोहन कुमार “जी सर। जरूर । मैं सभी विद्यार्थियों को अभी सूचित कर देता हूं कि वह अपनी मौलिक कविताओं को ही बोलने का अभ्यास करें। और हर कविता में एक सामाजिक संदेश या शिक्षा जरुर मिलनी चाहिए।”
प्रिंसिपल “अब आप जा सकते हैं।”
मोहन कुमार “जी सर।”
पर्दा गिरा।

पर्दा उठा।

वसंत कुंज केंद्रीय विद्यालय के प्रिंसिपल मेज पर रखी घंटी को बजाते हैं। कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज ।”धए क ”
रीता –  “नमस्कार साहब।(हाथ जोड़ते हुए)”
प्रिंसिपल – “नमस्कार। नमस्कार। स्पिरिचुअल टीचर सुधा रानी जी को बुलाओ।”
रीता – “जी सर। अभी बुलाती हूं।”
दरवाजा बंद होने की आवाज। “धए क”
कुछ देर में दरवाजा खुलने की आवाज। “ख़ए स”
दरवाजा खुलते ही सुधा कुमारी मैडम का कमरे में प्रवेश।
सुधा कुमारी (नमस्ते की मुद्रा में)” नमस्कार सर।”
प्रिंसिपल “नमस्कार सुधा जी। सुधा जी मुझे बताइए स्पिरिचुअल एजुकेशन कंपटीशन के लिए कितने फॉर्म आए हैं?”
सुधा “चार फॉर्म आए हैं सर।”
प्रिंसिपल “केवल चार ? और नजरें गढ़ाते हुए । (शिक्षिका के चेहरे पर)”
सुधा “जी सर।” (बहुत धीमे स्वर में गर्दन नीचे गिराते हुए। कुछ आत्मग्लानि के साथ की इतने कम विद्यार्थियों ने आध्यात्मिक शिक्षा पर रुचि दिखाई।)
प्रिंसिपल “ओके। कोई बात नहीं उन्हें सूचित करें कि आध्यात्मिक पुस्तकों को अच्छे से पढ़े और समाज , देश और संसार के बारे अच्छी समझ विकसित करें।आप भी बच्चों के साथ अच्छी मेहनत करें व सभी बच्चों से मेहनत करवाएं।”
सुधा “जी सर ।मैं पूरी कोशिश करूंगी व ईमानदारी से बच्चों के साथ मेहनत करूंगी।”
प्रिंसिपल “बिना कुछ किये जय-जय कार नहीं होती ।कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।”
सुधा “जी सर।”
( सिर झुका कर) नमस्कार करके चली जाती है । दरवाजा बंद होने की आवाज। “धए क”
पर्दा गिरा।

पर्दा उठा।
करोल बाग केंद्रीय विद्यालय के प्रिंसिपल – रिंग बजाते हैं।
बाहर से दरवाजा खुलने की आवाज । “खए स” लीना का प्रवेश।
लीना “नमस्कार सर।”
प्रिंसिपल “नमस्कार।नमस्कार।….
लीना इंग्लिश स्पिरिचुअल टीचर मैरी जी को बुलाओ।”
लीना “जी सर। अभी भेजती हूं। कह कर चली जाती है। दरवाजा खुलने और बंद होने की आवाज । “खए स” ।
“धए क”
कुछ देर में दरवाजा खुलता है। “खए स”
स्पिरिचुअल टीचर मैरी का कमरे में प्रवेश।( हाथ जोड़ते हुए ) “गुड मॉर्निंग सर।”
प्रिंसिपल “गुड मॉर्निंग। गुड मॉर्निंग।…..
हाउ मैनी फॉर्म्स यू रिसीवड?”
मैरी “फोर ओनली।” (बहुत धीमे स्वर में गर्दन नीचे झुकाते हुए)
प्रिंसिपल “ओनली 4?” (नजरे मैरी के चेहरे पर गड़ा देते हैं)
मैरी “जी सर।” (कुछ आत्मग्लानि के साथ कि इतनी कम बच्चों ने स्पिरिचुअल एजुकेशन में रुचि दिखाई।)
प्रिंसिपल “ओके। नो प्रोब्लम।मोटिवेट देम टू टेक इंटरेस्ट इन स्प्रिचुअल एजुकेशन,
ओरिजनल थिंकिंग पॉवर, क्रिएटिविटी, सेंसटिविटी एतसेक्त्रा।”
मैरी “ओके सर।
आई विल डू माय बेस्ट।”
प्रिंसिपल “नाउ यू कैन गो।”
सुधा “थैंक्यू सर।
बाहर चली जाती है। दरवाजा बंद होने की आवाज। “धए क ”
प्रकाश मद्धम
पर्दा गिरा ।

पर्दा उठा।
बड़ा सा हॉल राउंड टेबल पर एजुकेशन मिनिस्टर साहब की स्कूल के सभी प्रिंसिपल के साथ मीटिंग। टेबल के बीचोबीच भारतीय संविधान की पवित्र पुस्तक घूम रही है।
शिक्षा मंत्री जी सभी प्रिंसिपल से शिक्षा के बारे में ब्योरा लेते हैं।
सभी प्रिंसिपल से पूरा ब्योरा लेने के बाद । उनका भाषण:
“वी वांट क्रिएटिव माइंड्स। हू विल थिंक इन राइट पथ फॉर देमसेल्वस, नेशन ,सोसाइटी एंड वर्ल्ड । प्लीज इंक्रीज देम टू टेक पार्टिसिपेट इन लिट्रेचर एंड स्पिरिचुअलिटी ।..
यह बहुत ही चिंताजनक है। हमारे बच्चों में इस उम्र में क्रिएटिविटी की क्षमता नहीं है। स्पिरिचुअलिटी सीखने में भी उनकी रुचि नहीं दिख रही है। केवल पढ़ने , रटने, लिखने और बोलने से कभी भी अच्छे चरित्र गढ़े नहीं जा सकते।
अच्छे चरित्र निर्माण के लिए मौलिक सोच, समझ व सामाजिक चिंतन जरूरी है।

राष्ट्र को समाज को और पूरे विश्व को अच्छे चरित्र वाले नागरिक चाहिए होते हैं।आज अच्छे चरित्र की सबसे ज्यादा जरूरत है। सभी बच्चों की तैयारी अच्छे से कराएं। गौतम बुद्ध को भी केवल पांच शिष्य ही मिले थे उन्हीं को उन्होंने पारंगत किया था बाद में 5 से 50 हुए 50 से 500 हुए और 500 से 5000 होते-होते हुए कब पूरी दुनिया में फैल गए और आधी से ज्यादा दुनिया बुद्धमय बन गई। इसलिए हमें निराश नहीं होना चाहिए। पूरी कोशिश करनी चाहिए क्योंकि “बिना कुछ किये जय जयकार नहीं होती। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।”
ऑल द बेस्ट।”
प्रकाश मद्धम
ज्यादा मद्धम
प्रकाश गुल
पर्दा गिरा ।

पर्दा उठा।
तालकटोरा स्टेडियम में राज्य स्तरीय विद्यालयों का स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में “आध्यात्मिक व चारित्रिक साहित्य” प्रतियोगिता का भव्य आयोजन। बड़ा सा भव्य तिरंगा झंडा लहरा रहा है।स्टेज के दोनो तरफ भी बड़े बड़े तिरंगे झंडे लहरा रहे हैं।
मंच पर मुख्यमंत्री जी , आई ए एस महिला अधिकारी, समाज सुधारिका विधायक जी अन्य गण मान्य जन विराजमान । मंच पर ही भारतीय संविधान की पुस्तक शोभायमान। बैंचों पर छोटे छोटे तिरंगे झंडे गड़े हुए हैं

पूरा स्टेडियम खचाखच भरा हुआ है । पैरेंट्स, स्टूडेंट्स, टीचर्स सभी तिरंगे के तीन रंगों वाली सुंदर सुंदर ड्रैस में।
पीछे बच्चों के अभिभावक गण बैठे ।
आगे स्कूल के बच्चे बैठे हैं ।
पहली लाइन में कंपटीशन में भाग लेने वाले बच्चे बैठे हैं।
माहौल उत्साह और ऊर्जा से भरा हुआ ।
प्रिंसिपल महोदय ने आयोजन को शुरू करने का आव्हान किया।
अध्यापक – गुड मॉर्निंग टू ऑल रिस्पेक्टेड पैरेंट्स,टीचर्स,एंड लवली पहले स्टड्यूडेंटस ।.. जैसा कि आप सभी को मालूम है कि आज स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में यह साहित्यिक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। तो सबसे पहले मेरी तरफ से आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।तो अब कार्यक्रम का आरंभ करते हैं। हमारे प्रथम प्रतिभागी है।
प्राइमरी कक्षा 5 के।
नाम_ कान्हा।कृपया स्टेज पर आएं और अपनी कविता का पाठ करें।”
कान्हा की क्लास टीचर कान्हा को स्टेज पर लेकर आती है।
कान्हा _” मेरी पोयम है ।

Little Rat

Run – Run little Rat.
Where will you run?

This is my House
And
This Box is your House.

Come come little Rat.
Come in the Box.
And
Eat your food kuttar_ kuttar.

AAhaa…..You came in the Box.
And
Jhattak. Your Box has closed.

Now,
Go outside of my House
And
Jump in the dirty water.
Haa…Haa..Ha..

कान्हा -“थैंक्यू जोर से बोलता है और नीचे आ जाता है। (हंसते-हंसते)”

सभी को हंसते हैं।

अध्यापक – अब हमारी दूसरी प्रतिभागी हैं : मुन्नी ।”
क्लास टीचर मुन्नी को स्टेज पर लेकर चढ़ती हैं। चढ़ने की आवाज धम्म_ धम्म।
मुन्नी-“मेरी पोएम का नाम है।

Cat

Meow meow cat.
You are very, very clever.

You drink my milk everyday and
become strong day by day.

Meow meow cat .
Today
I will teach you a lesson .

Today
You cannot drink my milk because it is in hot case.

Meow meow cat.
if you will drink my milk. your little mouth will burn.
And
you will cry. Meow meow..
hun…hun … understand?

थैंक यू (जोर लगाकर) बोलती है और स्टेज से नीचे आ जाती है। धाम धाम।
अध्यापक अब हमारे तीसरे प्रतिभागी है मोंटी।
क्लास टीचर मोंटी को स्टेज पर लेकर चढ़ती हैं। धप – धप, धाप।
मोंटी_”मेरी पोयम का नाम है।

Sparrow & Child

Sparrow Sparrow
you are singing a song like this.
Cheen. cheen. Cheen cheen .

Sparrow Sparrow
you are flying on one branch to another branch like this pharr.pharr.
pharr. pharr.

Sparrow sparrow
you are drinking the water like this dupp.dupp.
dupp. dupp.

Sparrow Sparrow
Rain is falling like this ghim.ghim. ghim. ghim.

Sparrow Sparrow you and me are taking bath in the rain like this
chapak.chapakchapak.chapak

Aha,we both are enjoying
Aha..uhu.
Haha.haha.

नाचते हुए बोलता है – थैंक्यू _थैंक्यू और नाचते-नाचते स्टेज से नीचे चला जाता है।

सभी आनंदित होकर मन ही मन झूमने लगते हैं।
अध्यापक जी ” अब हमारे चौथी प्रतिभागी हैं कोयल।”
क्लास टीचर कोयल को स्टेज पर लेकर चढ़ती हैं। धम धम। स्टेज के सेंटर में लता को खड़ा कर देती हैं और खुद साइड में खड़ी हो जाती हैं।
लता मेरी पोयम का नाम है:

Bird

Bird Bird how lucky you are!

You have feathers.
You are flying one branch to another branch very easily.

But,
I can’t fly.

Oh!
chham. chham. rain is falling.
Chham. Chamm.

Bird Bird What happened to you?

Have your feather wet?
Now
You can’t fly??

Don’t worry
Don’t worry.

Come to me.
Come with me.

We will jump and dance together .
In the Rainy water.
Chhapak.chhapak.
Chhamm. Chhamm .
Hun ..hun..

कोयल – उड़ती सी स्टेज से नीचे आती है। ( हवा में ही थैंक्यू बोलती हुई )
सभी मन ही मन उड़ने लगते हैं मानो पर लग गए हों। अध्यापक अब अगले प्रतिभागी हैं: ” ऋषिल। ये कक्षा 8 के स्टूडेंट हैं। कृपया ऋषिल स्टेज पर आएं। अकेले खुद ही आएं।”
ऋषिल स्टेज पर आकर
स्टेज के सेंटर में खड़ा होकर बोलता है ” मंच पर विराजमान सभी अतिथिगण और स्टेडियम में बैठे मेरे फ्रेंड ,मम्मी डैडी और अंकल आंटी। सभी को मेरा नमस्कार। मेरी पोयम का नाम है।

HappyBirthday

Mummy – come
Crow – come
Sparrow – come.
Cock – come.
cat – come. Goat_ come buffalo – come dog – come friends – come .
Now,
let us celebrate my birthday.
Let me cut the cack.

Mummy told “Happy Birthday my son rushil.”clape clape.

Crow sounded – cauve cauve.

Sparrow chirped – cheen cheen.

Cock crowed – kukdoon …kooo.kukdooon…kooo..

Goat voice bleated – mein- mein,

Cow sounded- boo,boo

Buffalo sounded – bhain_bhain

Donkey brayed – dhenchoo..dhenchoo.

Dog brayed – bho – bho

Cat sounded Meawu..Meawu..

Owl sounded – hoout-hooout

Horse hinhinaya – neigh..neigh…

Rat sounded__choon_choon..

Lion roared ro..arr ro..arr

Friends singed a song Happy Birthday to you. Happy Birthday to you dear.
Happy Birthday to Rushil.

थैंक यू सो मच। ”

और रुशिल खुशी – खुशी स्टेज से नीचे चला जाता है। थप – थप।

सभी ऋषिल द्वारा जन्मदिन की खुशी मनाने के तरीके से मन ही मन बहुत खुश होते हैं और आपने अपने बच्चों के आने वाले जन्मदिन को इसी तरह से मानने की कल्पना करने लगते हैं।
अध्यापक जी” अब हमारे अगले प्रतिभागी हैं।शक्ति सिंह।”

शक्ति सिंह स्टेज पर आते हैं। धाम – धाम।
स्टेज के सेंटर में खड़े होकर – “सभी को नमस्कार । मेरी पोयम का नाम है।

Unity

We are seven friends.

One is strong. Another is weak.

One is Intelligent. another is fool.

one is tall. another is Short .

and one is normal.

but when we unite .
then we become a strength.”

शक्ति सिंह – पूरी शक्ति से थैंक यू । बोलकर नीचे उतरने लगता है।

सभी के अंदर शक्ति भर जाती है ।
अध्यापक जी “हमारे अगले प्रतिभागी हैं ।बंटी ।
बंटी स्टेज़ पर आएं और अपनी कविता का पाठ करें।”
बंटी स्टेज पर आता है । थप – थप।
बंटी “मेरी पोयम का नाम है ।

Boldy Baba

I am very very Boldy Baba.
I am very very
Charming Charming .
but
I am little bit Shouty Shouty.

I have very very Naughty Naughty twin sisters.
They are very very Cutie Cutie.
but
they are little bit Hotty Hotty.

I have very very Moody Moody Daddy. He is very very Caring, Caring. but
He is little bit Rudy Rudy .

I have very very Calming calming Mummy .
She is very very Sweety Sweety .
But She is little bit Angry Angry.

I have very very Happy Happy family. It is very very lovely, lovely .
But it is little bit Crowdy Crowdy.

बंटी थैंक्स बोलकर(बोल्डनेस के साथ ही) नीचे उतर जाता है।
सभी में हिम्मत आ जाती है। सभी खुद को कुछ-कुछ बोल्ड फील करने लगते हैं।
अध्यापक जी” अगली प्रतिभागी है श्रेया।
स्टेज पर चढ़ती है।डम- डम।फिर सेंटर में खड़े होकर-“मेरी पोयम का नाम है:-

Creche
Children

Parrot parrot you are in Cage.
and
we are in Creche .

parrot parrot you can eat seeds .
and
we can eat meals.
parrot parrot you can see everything .
and
we can see also everything.

parrot parrot you want to go to your Nest. and
we want to go our House .
parrot parrot
Today
Creche aunty is not here .
And now.
Your caze door is opened .
and
our creche door is also opened.

Parrot parrot now
you are free. and
we are also free .

parrot parrot now you can fly and go to your Nest.

we can run also to our House.
but
we cannot go our House because our House is not opened.

Parrot parrot you will not come tomorrow.
but
we will have to come tomorrow
and
day after
and
day after
and day after.
Hunu..hunu….
So…sad…”

सभी उदास हो जाते हैं ।
खासकर वर्किंग पेरेंट्स को गिल्ट फील होता है।
उनका मन क्षत विक्षत रहा है।लाइक सोमथिंग इज रॉन्ग।

अध्यापक जी ” अब हमारे अगले प्रतिभागी हैं।कुशल।”
कुशल स्टेज पर पर चढ़ता है । बिना थप थप की आवाज किए।
स्टेज के केंद्र में खड़े होकर  “सभी को नमस्कार।
मेरी पोयम का नाम है_

Excellent child

My mummy makes me Strong.

My daddy makes me Mannered.

My little sisters makes me Elder.

My didi makes me Neat and Clean.

My Aunty makes me Well behaved.

My Uncle makes me Well Cultured .

My Friends makes me Friendly.

My Teacher makes me literate and Educated .

My Madam makes me Disciplined.

My Guruji makes me Spiritual.

My God makes me Holi Soul.

All makes me an Excellent Child.

Thankyou ”

सभी प्राउड फील करते हैं। और गर्वानुभूति से सीट पर जम कर बैठ जाते हैं।

अध्यापक जी ” हमारी अगली प्रतिभागी हैं । नूपुर”
नूपुर स्टेज पर चढ़ती है। हल्की थप थप के साथ। स्टेज के केंद्र में खड़ी हुई” । सभी को प्रणाम मेरी पोयम का नाम है :-

Plants

I dislike watering to pot plants. Watering to pot plants is very painful for me.

Pot plants don’t leave freely.

Pot plants survive only.

pot plants can’t take natural shape.

Pot plants can grow up to a certain limit.

I cannot see anything in a very small size.
Like bonsai plants .
And Fish in aquarium.

I can’t see anything.
A very Big size like sumo baby.
I cannot see anything a very small size like bonsai plants,
Acuarious fish.

All are against the nature.

I like watering to the land plants.
land plants can grow up. Naturally .
land plant can get enough food.
Land plants can take shape of tree.

Thankyou ”

नूपुर बहुत ही संभाल कर स्टेज से नीचे उतरती है।
सभी कविता की सेंसटिविटी को डीपली फील करते हैं।

अध्यापक जी ” अब अगले प्रतिभागी हैं :
सनी।
सनी स्टेज पर चढ़ता है। (बहुत कम आवाज धम – धम की) स्टेज के केंद्र में खड़े होकर “सभी को नमस्कार ।
मेरी पोयम का नाम है :_

My Home

My Home is a sea of love.

My Home is a bundle of emotion.

My Home is a strength of energy.

My Home is a circle of good persons .

My Home is a rain of happiness.

My Home is a workshop of food.

My home is a milk Shake of sweet memories .

My Home is a drop of health tonic .

My Home is a playground of indoor games.

My Home is a swimming pool of my mind.

My home is a sky of thinking.

My home is a full stop of tears.
My Home is a temple of wishes

. My home is a shelter of peace.”

सभी को अपने-अपने घर की याद आ रही है । जो चीज उनके घर में अच्छी हो रही है उनसे वे खुश थे तो वहीं जो चीज उनके घर में अच्छी नहीं हो रही है उन्हें अच्छा करने की इच्छा उनमें पैदा हो रही है।मन ही मन वे सब अपने घर को भी कुछ-कुछ सनी के घर जैसा ही बनाना चाहते हैं।

अध्यापक जी ” अब अगले प्रतिभागी हैं।
रमेश।”
रमेश स्टेज पर चढता है। पर थप थप की आवाज नहीं आती। स्टेज के केंद्र में खड़े होकर सभी को मेरा नमस्कार। मेरी पोयम का नाम है:-

Universe

My state is my kitchen.
My country is my bedroom. Asia is my living room. Europe is my guest room. Other continents are my other rooms.
All Ireland are my farmhouse. All oceans are my swimming pool.
All mountains are my spiritual place/ meditation place.
All rain system is my bathroom.
All desert is my lobby .
Son is my tubelight.
moon is my dim light .
stars are my decoration lights .
all planets are my /visiting sites .
Whole Universe is my Beautiful Home.

Thankyou ”

रमेश शानदार तरीके से नीचे उतरता है। उसे ये सब अपना ही लग रहा है।

सभी रमेश की ग्लोबल कल्पना में खोने लगते हैं।अब उनका मन कहीं ओर उड़ रहा है।

अध्यापक जी_ “अब हमारे अगले प्रतिभागी हैं:_ विनीत।”
विनीत स्टेज पर चढ़ता है। बिना ठप _ठप की आवाज किए।
स्टेज के सेंटर में बहुत ही विनम्रता से खड़े होकर हाथ जोड़ते हुए सभी को मेरा नमस्कार। मेरी पोयम का टाइटल है :

College Boy

Somebody wants to become a doctor. Somebody wants to become an engineer. Somebody wants to become a scientist. Somebody wants to become a political leader. Somebody wants to become a prime Minister. Somebody wants to become a President. Somebody wants to become a Merchant. Somebody wants to become a Richest man.

But,
I want to become a peacemaker without any violence. I want to become PeaceMaker with all sufferings and sacrificing man just like women.

Thankyou ”

विनीत बहुत ही शांति से नीचे आता है।
सभी मन ही मन शांति का महसूस करते हैं। विनीत की विनम्रता सभी महिला पुरुष का दिल जीत लेती है। सभी बहुत शांत होते हुए विनीत को मन ही मन आशीर्वाद देने लगते हैं।

अध्यापक जी ” हमारे अगले प्रतिभागी हैं कुणाल ।”
कुणाल जल्दी से स्टेज पर चढ़ता है (बहुत उत्साह के साथ)और केंद्र में खड़े होकर_”सभी को मेरा नमस्कार। मेरी पोयम का टाइटल है:-

Computer Boy

Whole world is divided in continents .
Oceans.
Countries.
Religions.
Languages.
Cultures.

But,
My computer connect them all.

Now,
Asia is my living hall.
Europe is my dining hall
Africa is my kitchen.
Antarctica is my play ground.
Oceans are my swimming pool.

All countries are my brothers and sisters.

now ,
we all are together.
We all are living in joint family .

still ,
We all are free Individually.

Thankyou”

लोकतंत्र की खूबसूरती । आजादी को महसूस करता हुआ आराम से नीचे उतरता है।
सभी तालियां बजाते हैं।
एक परिवार की तरह (हिंदु,मुस्लिम,सिख,ईसाई) एक दूसरे को प्यार से देखते हैं।

अध्यापक जी ” हमारी अगली प्रतिभागी हैं: भाग्या।
भाग्या खुशी खुशी सीढ़ियां चढ़ती हुई स्टेज के केंद्र में जाकर खड़ी होकर” मैं सभी को नमस्कार करती हूं । मेरी कविता का शीर्षक है।

Perfect Woman

I want to become a complete woman .

I don’t want to become only Daughter, Sister, Wife, Mother .
I want to recognize Myself.

I don’t want to go not only with man’s desire .
I want to go also with my desire.

I don’t want to go below the man .
I don’t want to go above the man.

I don’t want to become dependent.
I don’t want to become independent.
But,
I want to become Interdependent.

I want to become a complete woman.

Thankyou”

भाग्या संविधान की दूसरी खूबसूरती समानता को पेश करके खुशी से नीचे उतरती है।

सभी जोरदार तालियां बजाते हैं।
सभी भाग्य को दिल से आभार व्यक्त करते हैं। स्पेशली यंग बॉयज और यंग गर्ल्स ।

अध्यापक जी “अब श्वेता आएं और अपनी कविता सुनाएं।
श्वेता स्टेज पर आती है। केंद्र में खड़ी होकर”
सभी को नमस्कार ।मेरी पोयम है :-

girls

Come on girls
Please Come With us
We are corporate girls
Let’s
Do work smartly
with us
We are with you.

Come on girls
Please Come with us
We are dancers
Let’s dance
with free style.
We are with you.

Come on girls
We are artists
Let’s fill colours in our life.
Please come
We will help you
We are with you.

Come on girls
We are travellers
Please Come & step out your house.
Let’s travel & enjoy
We are with you.

Come on ladies
Please Come with us
We are social workers women.
Please Come with us
Let’s Take your social responsibilities
We are with you.

Come on ladies
We are singer ladies.
Please come with us
Let’s sing lots of songs of our freedom.
We are with you.

Come on ladies
We are (agitatore) aandolan Kari ladies
Please Come with us
& Take your decisions
We are with you.

Come on ladies
Please Come with us
We are politicians
Let’s perform our roles
&
Do Raj in our home, office, country , world
We all are with you.”

श्वेता थैंक्यू कह कर हंसती नाचती गाती सीढ़ियों से से नीचे उतरती है।
हॉल में उपस्थित सभी जन खासकर लड़कियां, माताएं सीट पर बैठी बैठी ही झूमने लगती हैं। श्वेता को देखकर बहुत देर तक तालियां बजाती रहती हैं।

अध्यापक “अब हमारी अंतिम प्रतिभागी है: भव्या।”
भव्या बहुत ही समझदारी से स्टेज पर चढ़ती है और केंद्र में खड़ी होकर_”मैं सभी को नमस्कार करती हूं । मेरी पोयम का टाइटल है:-
हेवन एंड हैल।

Heaven

Where is Heaven?

Where Sweat and Soft words are there.

Where righteous condect is there.

Heaven is not elsewhere.

Where Truth and
Lot of love is there.

Heaven is there.

Hell

Where is hell,?
Where all bad works are there.

Heaven is not elsewhere.

Where Poor are tourtered
Innocent are punished
Hate & false are spread.
Hell is there.”

सभी जोर से तालियां बजाते हैं।
तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता है। मानो सभी बहुत प्यार से भव्या को एक गुरु मां जैसा मान रहे हैं।
भव्या भी बेफिक्रऔर सहज भाव से नीचे उतरती है।सभी को हाथ जोड़कर झुककर धन्यवाद कहती है।
सभी गदगद होते हैं। सभी उसको एक देवी के रूप में देखते हुए उसे एक छोटी गुरु मां ही मानते है।

प्रकाश मद्धम
ज्यादा मद्धम
प्रकाश गुल।
पर्दा गिरा।

पर्दा उठा।
अध्यापक जी _”अभी तक आप सभी ने अंग्रेजी पोयम्स की प्रतियोगिता को देखा, सुना ,समझा और आत्मसात किया अब हमारी अगली प्रतियोगिता है । हिंदी कविता प्रतियोगिता इसकी पहले प्रतिभागी हैं। ईशानी । ईशानी आप स्टेज पर आए और अपनी कविता को बोल का पाठ करें ।”
ईशानी अपनी कक्षा अध्यापिका के साथ स्टेज पर चढ़ती है।चढ़ने की आवाज “थप थप थप।”
ईशानी स्टेज के केंद्र में खड़े होकर” नमस्ते सभी को मेरी कविता का नाम है:-

क्रेच की बच्ची

तोता – तोता
आप पिंजरे में।
तोता तोता
मैं क्रेच में।।

तोता – तोता आप खा सकते
हो दाना।
तोता- तोता
मैं खा सकती हूं खाना।

आप रहे हो
पतर – पतर। 2
में रो रही हूं
मम्मी- पापा। 2

पर हमें कोई नही सुनता। ऊं… ऊं।

तोता – तोता सुनो।
अब आंटी नहीं है यहां।

अब आप भी हो फ्री।
अब मैं भी हूं फ्री।

आप उड़ सकते हो।
अब मैं भी भाग सकती हूं।

पर, आप अपने घोंसले में जा सकते हो।
आपका घोंसला खुला है।

पर, मैं अपने घर नहीं जा सकती।
मेरा घर बंद है।
ऊं.. ऊं…।मम्मी- पापा।2

ईशानी अपनी कविता बोलकर उदास कदमों से धीमे-धीमे डम डम करती हुई स्टेज से नीचे उतरती है।
धीमी धीमी तालियां बजती रहीं। साथ ही सभी के मन में मायूसी छा जाती है।
अध्यापक_ हमारे अगले प्रतिभागी हैं। सुहान।”
सुहान थप थप थप ऊपर स्टेज पर चढ़ता है।
स्टेज के केंद्र में खड़े होकर मेरा_ नाम सुहान । मेरी कविता का नाम सुंदर सहेली

तुम मेरी
सुंदर सहेली
सदाचारी
स्वेच्छाचारी
सुचरी
आओ चलो
करें सुखचरी

तुम मेरी
सुंदर सहेली
सुखचरी
स्वेच्छा चारी सदाचारी
सुंदरी

आओ चलो
पकड़ें सीटी ।
बजाए प्रेमरागिनी।

तुम मेरी सुंदर सहेली
सुखचरी
स्वेच्छा चारी सदाचारी
सुंदरी

आओ चलो
करें
प्रेमरस में
गोताखोरी

तुम मेरी
सुंदर सहेली
सुचरी
सुखचरी
स्वेच्छा चारी सदाचारी
सुंदरी

आओ चलो
अब बैठें
सागर किनारे
बजाए चैन बांसुरी

तुम मेरी सुंदर सहेली
सुखचरी
स्वेच्छाचारी सदाचारी
सुंदरी

आओ करें
पार ये
भवसागरी

तुम मेरी सुंदर सहेली
सुखाचारी स्वेच्छाचारी सदाचारी
सुंदरी।

सुहान बहुत ही प्रेम भाव से सीढ़ियों से बिना थप थप किए होले होले उतरता है।
तालियों की गड़गड़ाहट सभी प्रेम रस में डूब गए।

अध्यापक “अब हमारी अगली प्रतिभागी हैं भव्या।
कृपया भव्या स्टेज पर आऐं और अपनी कविता का पाठ करें।”
भव्या बहुत ही सधे कदमों से स्टेज पर चढ़ कर, स्टेज के केंद्र में खड़े होकर “सभी को मेरा नमस्कार ।मैं भव्या।मेरी कविता का नाम है :

प्रकृति

पेड़ पौधे
जीव जंतु
पशु पक्षी
जलीय प्राणी
सब रचनाएं प्रकृति की।

नहीं बिगाड़ी किसी ने संरचना प्रकृति की।

हे मानव !
केवल तूने ही बिगाड़ी सुंदरता प्रकृति की।

काटे पेड़
उजाड़े जंगल।
बहाए
पानी व मिट्टी में रसायन।
उड़ाया धुआं विषैला ।
पिघलाई ग्लेशियर श्रृंखला।

हे मानव!
क्यों केवल
तूने ही तोड़े
ढांचे प्रकृति के।

हे मानव !
घूम फिर
खा पी
ऐश कर
मजे ले ।
पर
रह यहां बनके
तू विजिटर प्रकृति की।

मत खोद जमीन
मत खंगोल समुंद्र
मत कर उलट फेर
मत रह गुमान में बुद्धि की।
तेरी
इसी बुद्धि ने
इसी चालाकी ने
इसी स्वार्थ ने
देख
कैसे बिगाड़ी रचनाएं सभी प्रकृति की।

ठहर तू
संभल तू
सुखाए हैं तूने नदी,नाले , तालाब
भरेगा कब तू?

जल्दी फिर भर
बन दयालु
कर क्षति पूर्ति तू प्रकृति की।

नहीं तो
अब पछताएंगे हम।
अब सूखेंगे हम।
सूखे से हम
या
बहेंगे बाढ़ में हम।
उड़ेंगे आंधियों में हम
या
मरेंगे घुट के हम।

अब
करेगी हमारा हिसाब किताब प्रकृति ही।

अब नही बचेगा हमारा नामो निशान।
हमारा वंश।

सोच!
क्या बच पाएंगे?
चपेट से
अब हम प्रकृति की? 2

धन्यवाद
भव्या बहुत ही सधे कदमों से सीढ़ियां उतरती हुई नीचे उतरती है।
तालियों से हाल गूंजने लगा। पर्यावरण पर इतनी अच्छी कविता सुनकर सभी की आंखें खुली
और दिल भी खुले। दिल से सभी कविता की तारीफ और प्रस्तुति करण पर भव्या की प्रशंसा भी करते हुए। ( हाथ के इशारों से)

अध्यापक “हमारे अगले प्रतिभागी हैं मानव। मानव कृपया स्टेज पर आए।”
मानव बहुत ही समझदारी के साथ सीढ़ियां चढ़ते हुए स्टेज के केंद्र में जाकर खड़े होकर_” मेरा नाम मानव है । मेरी कविता का नाम है :-
जीवन

सूरज, चांद सितारों से ब्रह्मांड का जग रोशन है सारा।

पर,
नित अंधियारा
अंधेरे में डूबो देता है जग सारा।

यह प्रतिद्वंदिता चलती रहती है।
दोनों की
अनवरत
आदिकाल से अनादिकाल तक।

इस जिद्दोजहद में न कोई जीतता है ।
न कोई हारता है

न ही इस जग को कभी सूरज ,चांद ,सितारे हमेशा के लिए रोशन ही कर पाते हैं।
न ही अंधियारा जग को को हमेशा के लिए अंधेरे में डुबो पाता है।

न ही जग पर इनका कोई स्थाई प्रभाव पड़ता है।

दोनों ही अपनी अपनी परिक्रमा करते हैं ।

दोनों की परछाइयां आती – जाती हैं।
पर ,
जग अप्रभावित रहता है।

यही है वास्तविक जग।

बिल्कुल ऐसा ही है जीवन ।
सुख ,सफलता और खुशियों से मनुष्य का जीवन रोशन है सारा।
पर ,
एक दुख अंधेरे में डुबो देता है जीवन सारा ।
यह प्रतिद्वंद्विता चलती रहती है। दोनों की ।
अनवरत आदिकाल से अनादि काल तक।

इस जिद्धोजहद में न कोई जीतता है। न कोई हारता है।

न ही इस जीवन में सुख ,सफलता और खुशियां। जीवन को खुश ही कर पाते हैं और ना ही दुख जीवन को हमेशा के लिए दुख में डुबो पाता है।

न ही जीवन पर इनका कोई स्थाई प्रभाव पड़ता है।

दोनों ही अपनी अपनी परिक्रमा करते हैं ।
इनकी परछाइयां आती – जाती हैं।
पर ,
जो जीवन जग की तरह अप्रभावित रहता है।
वही है वास्तविक जीवन।”

मानव बहुत ही समझदारी के साथ संयमित तरीके से सीढ़ियां नीचे उतरते हुए हॉल में तालियों की गड़गड़ाहट ।
जीवन के मर्म को समझाती हुई इस कविता की आध्यात्मिकता में खोए हुए सभी जन।

अध्यापक “अब हमारी अगली प्रतिभागी हैं।
शालू।
कृपया शालू स्टेज पर आए और अपनी कविता का पाठ करें।”
शालू धीरे-धीरे स्टेज पर चढ़ती हुई सेंटर में जाकर खड़ी हुई “नमस्ते मेरा नाम शालू । मेरी कविता का नाम है:-
तलवार

शायद जीवन एक दरिया है।
शायद भावनाओं का समुंद्र भी।

पर दरिया और समुंद्र को ,
तलवार की नोक के सहारे पार नहीं किया जा सकता।

क्यों?
क्योंकि तलवार अपना साथी खोजती जरूर है,
पर केवल युद्ध के वक्त पर।

युद्ध के बाद वह अपनी म्यान में वापस चली जाती है ।
औरअपने साथी को भी म्यान में वापस जाने को कहती है।

वह स्थायित्व चाहती जरूर है।
पर स्थाई रहना उसकी प्रवृति नही।
इसीलिए वह खुद को समझने में असमर्थ है।
और अन्य को भी।

वह कइयों को आजमाती है।
साथ भी देती है।
परंतु रहती वह अकेली ही है।

शायद वह अपनी प्रवृति की इस विडंबना को समझने में असमर्थ है।
शायद इसीलिए वह जीवन रूपी इस दरिया को और भावनाओं रूपी इस समुंद्र को पार करने की जगह
केवल एक ही जगह खड़ी गोते खाती रहती है।

धन्यवाद।”

शालू स्टेज से उतरती है ।(बहुत ही शांत भाव से)
धीमी धीमी तालियां बजाते हुए कविता का अर्थ समझने की कोशिश करते हुए सभी जन।

हमारी अगली प्रतिभागी हैं । ईशानी।
ईशानी कृपया स्टेज पर आए और अपनी कविता का पाठ करें।”
ईशानी सीढ़ियों से चढ़ कर स्टेज के केंद्र में खड़े होकर _”सभी को मेरा नमस्कार ।
मेरी कविता का नाम है:_

प्यार की तलाश

नहीं मिला
मुझे
कोई अच्छा लड़का।
नहीं कोई दिखने में सुंदर
नहीं कोई बोलने में
स्वीट
नहीं कोई बाई नेचर
अच्छा ।

तो सोचा !
चलो
आज मैं ही
बनूं सुंदर दिखने में।
बनूं स्वीट बोलने में।
बिखेरूँ खुशबू
और
बाय नेचर
खुद ही
इतनी अच्छी बन जाऊं।
इतनी अच्छी बन जाऊं।।
कि किसी की तलाश पूरी कर दूं।

नहीं मिला प्यार देने वाला ।
नहीं मिला
मुझ पर जान
लुटाने वाला।
नहीं मिला
मुझ पर मिटने वाला।
नहीं मिला
चांद तारों पर सैर कराने का वादा करने वाला।

तो सोचा
मैं ही प्यार लुटाऊं
मैं ही दुलार दिखाऊं
किसी के प्यार में
इतनी दूर जाऊं
इतनी दूर जाऊं
कि
चंद्रयान पर जीवित यात्री
यानी
अगली जीवित रोवर
मैं ही बन जाऊं।
फिर
चांद की सैर
मैं ही
उसे कराऊं।”

धन्यवाद।

बहुत प्रेम से भरी कविता ईशानी बोलकर नीचे उतरती हुई । तालियों की गड़गड़ाहट ।

अध्यापक हमारे अगले प्रतिभागी हैं। रूशिल। रूशिल स्टेज पर आए और अपनी कविता का पाठ करें।
स्टेज की सीढ़ियां सीढ़ियां चढ़ते हुए रुशील सीधे जाकर स्टेज के केंद्र में खड़े होकर “सभी को नमस्ते मेरा नाम रूशिल है। मेरी कविता का नाम है:

“इंडिया” दैट इज “भारत” की सोच

एक अमीर गौतम बुद्ध,
एक गरीब डॉक्टर अंबेडकर।

एक अमीर से गरीब बने।

एक गरीब से अमीर बनकर भी गरीब बने रहे।

एक अमीर ने अमीर से गरीब बनकर,
दुनिया को अपने कदमों पर झुकाया,
दुनिया का इतिहास बदला।

एक गरीब ने भी गरीब बने रहकर,
दुनिया को अपने कदमों पर झुकाया।
दुनिया का इतिहास बदला।

मतलब
जरूरी नहीं बनना,
अमीर या गरीब।

जरूरी है नेक ‘सोच’।
जरूरी है समानतावादी सोच
जरूरी है मानवीय सोच।

होगी यही व्यापक सोच
यही शाश्वत सोच
यानी
“इंडस” वैली सभ्यता की सोच
फिर से
“इंडिया” दैट इज “भारत” की
भावी सोच।

रूशिल अपनी सोच में डूबे हुए धीरे-धीरे सीढ़ियां उतरते हुए।
सभी जन सोच में डूबे हुए साथ ही अच्छी सोच के लिए तालियां बजाते जाते हैं।

अध्यापक_”हमारी अगली प्रतिभागी हैं। भाग्या।”

भाग्या स्टेज पर चढ़ते हुए पूरे आत्मविश्वास के साथ खुशी-खुशी स्टेज के केंद्र में खड़े होकर “मेरा नाम भाग्या है।मेरी कविता का नाम है:
“समाज का ऋण उतारूंगी

जब मैं छोटी बच्ची थी।
गाय,भैंस मुझे दूध देती थीं ।
मुर्गी अंडा देती थी।

मम्मी खाना और बहुत सारा प्यार देती थीं।
पापा किताबें और कपड़े देते थे।
अध्यापिका बहुत सारा ज्ञान देती थीं।

मोची अंकल मेरे जूते ठीक करते थे।
नाई अंकल मेरे बाल काटते थे।

घोड़ा मुझे घुड़सवारी करवाता था।
हाथी मुझे सूंड से ऊपर चढ़ाकर
पीठ पर बैठाकर
मस्त मस्त चल कर सुंदर सवारी करवाता था।

अब,
अब मैं बड़ी ऑफिसर बन गई हूं।
और
अब मैं गाय_भैंस को हरा चारा खिलाऊंगी।
अब मैं मुर्गी को दाने खिलाऊंगी।

अब मैं मोची और नाई को बड़ी बड़ी दुकानें खरीद कर दूंगी।

अब मैं अध्यापिका को मान_सम्मान देकर उनका आभार व्यक्त करूंगी।

अब मैं मम्मी  पापा पर सारी खुशियां न्योछावर करूंगी।

अब मैं हाथी घोड़े को संरक्षित जंगल प्रदान करूंगी।

अब मैं समाज का ऋण उतारूंगी।”

भाग्या उत्साह के साथ खुशी-खुशी सीढ़ियां उतरती है । सभी जन जोर-जोर से तालियां बजाते हैं और भाग्या पर नाज करते हैं। अपने-अपने बच्चों को भाग्या जैसा बनने की कामना मन ही मन करते हैं।

अध्यापक हमारे अंतिम प्रतिभागी हैं। धर्म।

धर्म शालीनता के साथ सीढ़ियां चढ़ते हुए स्टेज पर आगे बढ़े सेंटर में जाकर खड़े होकर ” मेरा नाम धर्म है मेरी कविता में कुछ धर्म की बातें हैं। जिसका शीर्षक है।

“जीवन का मर्म”

सोने चांदी
हीरे जवाहरात
जमीन जायदाद।
मिलेनियर और
घर प्रॉपर्टी के ओनर।

बनने के लिए
रोज खपते हो
रोज मरते हो।
जिसे कहते हैं नोकरी पेशा
उद्योग धंधे।

पर क्या तुम्हे मालूम है?
जीवन का मर्म।

तुम लेकर नहीं
जा सकते यहां से
एक भी रुपया
एक भी पैसा
सोने का एक टुकड़ा
हीरे का एक पत्थर जगमगाता
फिर भी
रोज इनको प्राप्त
करने को हो बेकरार
इतने बेकरार
इतने बेकरार
कि
उलझ गए हो दो नंबरी पैसों में।
डूब गए हो
काले कारनामों में।
इलीगल
उद्योग धंधों में।

करते हो रोज जी तोड़ मेहनत
लगाते हो रोज ऐसे आस
कि
कल होगी तुम्हारी जमीन
तुम्हारा घर
खूब सारे सोने चांदी के गहने
रत्न, हीरे, जवाहरात
जैसे कि ले जा सकोगे।
इस लोक से अपने साथ ये सब।

पर
क्या
तुम्हे मालूम है?
तुम लेकर नहीं
जा सकते यहां से
एक भी रुपया
एक भी पैसा
सोने का एक भी गहना
हीरे का एक नन्हा सा भी टुकड़ा
एक बूंद पानी की
से एक इंच भी जमीन
मिट्टी का एक कण भी
ऑक्सीजन का एक सिलेंडर
फिर
क्यों नाहक
गले में जंजीरें बांधते हो?
क्यों लाभ हानि के लिए भ्रष्टाचार करते हो?
क्यों लोभ में
पानी ,भूमि
तेल, यूरेनियम पर अपना कब्जा करते हो?
क्यों लड़ते हो?
क्यों युद्ध करते हो??

धन्यवाद।”

धर्म के मुख से ,युद्ध बंदी और शांति की बातें सुनकर सभी लोग ज्ञान के एक उच्च स्तर पर पहुंचने लगते हैं। धीर गंभीर हो जाते हैं। वे सभी धीरे-धीरे तालियां बजाते रहे अपना मानसिक स्तर ऊपर करते हुए।
पर्दा गिरा।

पर्दा उठा।

अध्यापक “हमारे पास एक शॉर्ट स्टोरी इंग्लिश में आई है। जिसका टाइटल है। मदरलैंड।
सनी स्टेज पर आएं और अपनी लघुकथा “मदरलैंड ”
का पाठ करें।”

सनी फटाफट सीढ़ियां चढ़ते हुए स्टेज के केंद्र में खड़े होकर “सभी को नमस्कार मेरा नाम सनी मेरी शॉर्ट स्टोरी का नाम है: मदरलैंड।

One day Madhu asked to Sunny” ae.. Sunny which city is your Motherland ? Pune, Nashik aur Kalyan?”
Suny told_” no no no no. none of them such a small City can be my motherland.”
Oh! ok. then tell me which big city is your motherland Delhi, Mumbai, Madras or Kolkata “??Madhu asked to Sunny.
Sunny told _”no no no no no. None of them. Only one City can be my motherland.”
oh ! ok. Okay. Then tell me which country is your Motherland India America or Russia ?” Madhu asked to Sunny.
Suny told no.. no….. not only one country but also a whole Earth land is my Motherland.”

Moral of the story is we are responsible for Whole Earth. Save it.

धन्यवाद ।
हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता है । लोगों उत्साहित होते हैं । एकता की भावना उनके दिलो दिमाग में हिलोरें मारती हैं। अलगाव और भिन्नता की सारी दीवारें टूटने लगती हैं। लोग किसी भी भाषा ,प्रांत ,देश के हों। सभी की सोच एक मानवीय भावना के तले एक होने लगी। वन मिशन वन थॉट वन पाथ।
सभी जन एक दूसरे के गले मिलते हैं। हाथ मिलाते हैं और एक _दूसरे के बच्चों पर प्यार लुटाते हैं।

प्रकाश मद्धम
ज्यादा मद्धम
प्रकाश गुल

पर्दा गिरा।

पर्दा उठा।
अध्यापक जी बोले: हमारे आज के चीफ गेस्ट मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि यदि कोई पैरेंट अपनी कविता के माध्यम से कुछ बोलना चाहते हैं तो वह बोले क्योंकि आज 15 अगस्त है. यानी स्वतंत्रता दिवस है । लोकतंत्र में लोगों के द्वारा ,लोगों के लिए ही कार्य किया जाता है। इसलिए बेझिझक कोई भी अपनी बात रखना चाहते हैं, यहां तक कि यदि कोई विरोधात्मक बातें भी रखना चाहते हैं तो बेझिझक रख सकते हैं ।
हम उनका खुले दिल से स्वागत करते हैं।
एक हाथ खड़ा हुआ ।
अध्यापक_ जी सर। कृपया आप स्टेज पर आऐं और अपनी बात रखें। पैरंट – मेरा नाम सुशील है और मैं लोकतंत्र में कुछ राजनीतिक बातें अपनी कविता के माध्यम से रखना चाहता हूं।
शीर्षक है :-

“हे। मेरे देशवासियों”

हे । मेरे देशवासियों चाहिए तुम्हें क्या?
मंदिर, मस्जिद, चर्च , गुरुद्वारा और विहार ?
या
शांति , चैन , अमन खुशहाली और हरियाली?

हे । मेरे देशवासियों चाहिए तुम्हें क्या?
हिंदू मुस्लिम दंगे और जाति-पांति में लिपटे डंडे
या
रोजी रोटी और काम धंधे?

हे । मेरे देशवासियों चाहिए तुम्हें क्या?
बड़े-बड़े भाषण, आडंबर, हवन कुंड, असमानता , विघटन और भीख या
विज्ञान, विद्यालय, समानता ,एकता और हक?

हे । मेरे देशवासियों चाहिए तुम्हें क्या?
पूंजीवाद , राम राज्य, अन्याय , घृणा और गुलामी या
समाजवाद, लोकतंत्र ,न्याय,प्रेम और आजादी?

गर जिताना है तुम्हे
सही प्रत्याशी

सोचो
खूब सोचो

फिर इ वी एम पर वार करो ।
बैलेट पेपर पर मतदान करो।
हे । मेरे देशवासियों सही अर्थों में लोकतंत्र तुम बहाल करो।_2

धीमी धीमी तालियां बजती रही। लोगों के दिल और दिमाग भी धीरे-धीरे खुलते रहे।
सुशील कुमार जी सीढ़ियों से नीचे उतरते हैं और अपनी सीट पर जाकर बैठ जाते हैं।
पर्दा गिरा।

दूसरा हाथ खड़ा हुआ एक महिला का। अध्यापक जी_”कृपया स्टेज पर आकर अपनी बात रखें । ”
महिला स्टेज पर सीढ़ियां चढ़ती हुई पहुंचती है। माईक पकड़कर ” मेरा नाम नेहा है। मैं डाॅरी सिस्टम पर एक कविता के माध्यम से कुछ बातें रखना चाहती हूं कविता का शीर्षक है:

दहेज प्रथा

विवाह लड़का लड़की का हुआ। दहेज बीच में क्यों आया?
हाय ! खुद भी बने भिखारी।
लड़के को भी भिखारी क्यों बनाया?

विवाह लड़का लड़की का तय हुआ।
एक करोड़ दो करोड़ का डील बीच में क्यों आया?
हाय! खुद भी बने भिखारी ।
लड़के को भी भिखारी क्यों बनाया?

हमने लड़की को कैपेबल बनाया। तुमने लड़के को कैपेबल बनाया। बीच में ये लालच तुमको क्यों आया?
हाय! खुद भी
बने भिखारी ।
लड़के को भी भिखारी क्यों बनाया?

हमारी डॉटर को डॉटर इन लॉ तुमने बनाया।
तुम्हारे सन को सन इन लॉ हमने बनाया।
सन को पाकर भी हम न बने भिखारी।
हाय! डॉटर यानी लक्ष्मी पाकर भी तुम बने भिखारी।
लड़के को भी भिखारी क्यों बनाया?

नया जमाना है आया।
दोनों परिवारों का मिलन शुभ समय आया।
पैसा, गाड़ी, बंगला बीच में मत लाओ।
लड़का लड़की में प्यार पनपाओ। 2

नेहा सीढियां उतरती हुई अपनी सीट पर जाकर बैठ जाती है ।
तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा स्टेडियम गूंजता रहा ।

पर्दा उठा ।
अध्यापक: _तो अब बारी है प्रतिस्पर्धा के नतीजे की।
यह नतीजा हमारे चीफ गेस्ट सी.एम साहब ,आईएएस अधिकारी और समाज सुधारिका जी देंगी। तो मैं सबसे पहले आई एस अधिकारी श्रीमती विमला जी को बुलाना चाहूंगा। वे आएं और दो शब्द रखते हुए हमारे तीसरे विजेता को इस ट्रॉफी से सुशोभित करें। आईएएस अधिकारी श्रीमती विमला जी का तालियों से स्वागत।”
श्रीमती विमला जी के लिए तालियां बजीं।
आईएएस अधिकारी श्री मती विमला जी खड़ी हुईं और बोलीं: _”सभी को नमस्कार। आप सभी ने कार्यक्रम को बहुत धैर्य व शांति से सुना ।इसके लिए आप सभी का धन्यवाद। यहां आयोजित कविता प्रतियोगिता में एक से बढ़कर एक कविताओं का पाठ किया गया उसमें से चयन करना बहुत कठिन है।फिर भी क्यों कि चयन करना है इसलिए जिस कविता ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया। वह है … “समाज का ऋण उतारूंगी”।” इस कविता
का पाठ करने वाली प्रतिभागी भाग्या आएं।…
मैं भी उस कविता को अपने शब्दों में दोहराना चाहती हूं। जो कि
पे बैक टू सोसाइटी के कॉन्सेप्ट पर है।एंड आई पर्सनली लाइक इट सो मच…this poem is in my words

“Established Women”

When I was young.

Cow & buffalo gave me milk.

Hen gave me eggs.

Sheep gave me woolen.

Trees gave me fruits & vegetables.

Mummy gave me food & love
Daddy gave me dress & books.

Aunty & uncle gave me sweets & toys.

Teacher gave me education,.

Barbour cut my hair.

Shoemaker repaired my shoes .

Horse gave me strong ride.

Elephant gave me stable & beautiful ride.

Now
I am Healthy, wealthy , suited booted ,tip top educated & established Women.

&
Now
now
I will go to the buffalo & sheep to give them chara.(green grass.)

Now I will go to the hen to give them daana,(grain)

Now I will go to the shoemaker & barbour
To give them a huge shop(shade.)

Now I will go to field to watering the plants.

Now I will go to the teacher to give respect & gratitude.

Now I will go to aunty &uncle to give them
Sweets& sweet memories.

Now I will go to mummy & deddy to give them their all Happiness.

Now I will go to horse & elephant to give them reserved forest.

Now
I will
pay back to society.
भाग्य बहुत ही खुशी के साथ जल्दी-जल्दी सीढ़ियां चढ़ती हुई स्टेज पर पहुंची आई ए एस अधिकारी श्रीमती विमला जी से ट्रॉफी ली उनके साथ फोटो खिंचवाई उनके पैर छुए और झूमती गाती स्टेज से नीचे डम डम करके उतरी उतरती जाती है।

अध्यापक “अब मैं प्रार्थना करूंगा समाज सुधारिका श्रीमती वैष्णवी जी आएं और प्रतियोगिता की दूसरी विजेता को ट्रॉफी प्रदान करें साथ ही दो शब्द रखें। समाज सुधारिका श्रीमती वैष्णवी जी। उनका जोरदार तालियों के साथ स्वागत ।”
हॉल में तालियां बजने लगीं।
समाज सुधारिका श्रीमती वैष्णवी जी बोलीं: “आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद यहां आयोजित कविता प्रतियोगिता में एकता की भावना, मजबूत चरित्र , मजबूत नागरिक, मजबूत परिवार और मजबूत समाज बनाने की चेतना दिखाई दी। जिससे न केवल मजबूत देश बनेगा बल्कि मजबूत विश्व भी बनेगा और साथ ही उसमें पूरा लोकतंत्र यानी स्वतंत्रता, समानता , सहिष्णुता, स्नेह , भाईचारा व बहन चारा भी रहेगा।
ऐसी ही कविता “कंप्यूटर बाय” है।
जिनका जिनका पाठ किया था कुणाल ने।”

अध्यापक ” कुणाल कृपया स्टेज पर आएं।”
कुणाल स्टेज पर दौड़ लगाकर पहुंचा। ट्रॉफी ली और खुशी-खुशी सीढ़ियां से नीचे उतरता चला गया।
हॉल में तालिया की गड़गड़ाहट होती रही।

इसी बीच अध्यापक जी ने कहा ” अभी अभी हमारे मुख्यमंत्री जी ने सभी प्रतिभागियों को व जिन बच्चो के माता _ पिता ने कविताएं बोली है। उन सभी को दस दस हजार रुपए का चेक इनाम के तौर पर देने की घोषणा की है।..अब मैं हमारे सीएम साहब मुख्यमंत्री जी को बुलाना चाहूंगा ।वे आए और प्रथम विजेता को ट्रॉफी दें। कृपया उनका तालियों से जोरदार स्वागत किया जाए।”
हॉल में तालियां फिर से बजने लगीं। बहुत देर तक बजती रहीं।
मुख्यमंत्री जी आए।
बहुत गर्व से और खुशी से फूले न समाते हुए बोले “आज मुझे अपने सभी बच्चों अध्यापकों, अध्यापिकाओ और माता _ पिता पर गर्व है कि उन्होंने इतनी अच्छी सोच और मेहनत से इस प्रोग्राम को उच्च स्तर का बना दिया है । सारी कविताएं देश प्रेम, विश्व प्रेम ,मानव प्रेम से परिपूर्ण हैं।”
मुख्यमंत्री जी हर प्रतिभागी सुंदर सा लिफाफा देकर सम्मानित करते हैं जिसमें दस हजार रुपए का एक चैक रक्षा है।….
जिन माता, पिता ने कविताएं बोली हैं उन्हें भी सम्मानित करते हैं।…
फिर बोलते हैं”आशा करता हूं की सभी बच्चे और आप सभी आने वाले समय में इसी लगन से इसी सोच से अपने जीवन में सही विचार और सही पथ पर आगे बढ़ते हुए एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करने के साथ-साथ वैश्विक परिवार बनाने की दिशा में “वसुधैव कुटुंबकम” की उक्ति को चरितार्थ करेंगे।”
अध्यापक”
प्रथम पुरस्कार दो हैं। एक लघु कथा “मदरलैंड” का वाचन करने वाले छात्र सनी को जाता है। ”
सनी खुशी और उमंग से भरपूर सीढ़ियां चढ़ता हुआ ऊपर मुख्यमंत्री जी के पास पहुंचता है। ट्रॉफी लेता है। फोटो खिंचवाता है।उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेता है और खुशी-खुशी सीढ़ियों से नीचे उतर आ ता है ।

अध्यापक “अब आज के ही प्रथम पुरस्कार पाने वाले दूसरे विद्यार्थी हैं …
ऋषिल । इनकी कविता का नाम है।
“इंडिया देट इज भारत”।

ऋषिल खुशी – खुशी लगभग भागता हुआ सीढियां चढ़ता जाता है और मुख्यमंत्री जी से प्रथम पुरस्कार पाकर अत्यंत खुश होते हुए उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते हुए नीचे ट्रॉफी के साथ उतर रहा है।

हंसी-खुशी का माहौल ।
बच्चे चहकते हुए। माता_पिता,अतिथिगण आदि सभी अत्यधिक भाव विभोर होते हुए, गर्वानुभूति भरते हुए ,एक दूसरे के बच्चों को प्यार देते हुए , उन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं। एक दूसरे को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दे रहे हैं। एक दूसरे की पॉकेट पर तिरंगे के छोटे-छोटे बैच लगा रहे हैं। छोटे छोटे तिरंगे सभी एक दूसरे को दे रहे हैं।पूरे हॉल में तिरंगे लहरा रहे हैं।मिठाइयां बंट रही हैं। सभी तिरंगे वाली पोशाकों में सजे धजे ऊर्जा,स्फूर्ति,प्रेम सौहार्द खुशी ,उमंग से भरे अपने अपने घर जा रहे हैं।
स्टेज पर बड़ा सा तिरंगा झंडा लहरा रहा है।
प्रकाश मद्धम
ज्यादा मद्धम
लाइट ऑफ

पर्दा गिरा।

समाप्त

Dr. Suman Dharamvir

डॉक्टर सुमन धर्मवीर

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डॉक्टर सुमन धर्मवीर जी की कविताएँ | Dr. Suman Dharamvir Poetry

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