प्रकृति सिद्धांत प्रतिपादन
एक सा वातावरण में रहते-रहते हम सब बहुत कुछ अपने जीवन में ग्रहण करते हैं।यही प्रकृति,पूर्व मानव के बीच का भी सिद्धांत है। ब्रह्मांड की संरचना मानव के अनुकूल हुई है ।
प्रकृति से ही शिक्षा-ग्रहण कर हम सभ्यता की गाड़ी को बहुत ऊपर ले आए।जितना विकास किए वह सारे के सारे आधारित प्राकृतिक सिद्धांत पर ही है।जैसे प्रकृति से हम पेड़ लगाना सीखें।
धान,गेहूं की प्रक्रिया,आग बनाने की।पहले इन छोटी-छोटी प्रक्रियाओं से गुजरे हम।यही उस समय हमारे लिए बड़ी प्रक्रिया थी।इसी से अमूल्य क्रांति हुआ हमारी।
सही जीवन यापन शुरू हुआ,फिर पक्षियों को आसमान में उड़ते देखा।उसी सिद्धांत पर हवाई जहाज का निर्माण हुई। गौर से देखा जाए तो जितना कुछ प्रतिपादन विकास सब प्रकृति से ही है।
कहा जाए, जीवन का अनुसरण प्रकृति,इसमें कोई संदेह नहीं। जीवन प्रकृति का ही अनुसरण मानना बिल्कुल सत्य है। पहाड़ों से झरना रूप पानी गिरते देख सभी ने ऊंचे स्थानों पर पात्र टंकी रख पानी सभी जगह भेजने की प्रक्रिया चालू की।
मूल रूप से हम प्रकृति सिद्धांत अनुसरण कर ही अविष्कार करते आए हैं।गहराई से सोचने पर इस परिलक्ष्य पर पहुंच सकते हैं,बरसात की पानी गड्ढे में जमा देख शायद पोखरा आदि का निर्माण हुई होगी।
अतः हमारी सिद्धांत प्रकृति पर ही निर्भर है। प्रकृति से बाहर नहीं हैं हम। इस विषय पर,बहुत बारकी के अध्ययन से पता लग जाएंगे।
भानुप्रिया देवी
बाबा बैजनाथ धाम देवघर