कुछ महीनों पहले मेरे एक क्लाइंट मेरे ऑफिस पर आए। थोड़े नाराज़ लग रहे थे और गुस्से में भी थे। मैंने उनकी नाराज़गी का कारण पूछा तो पता चला कि उनके बेटे ने प्रिंटिंग एंड मीडिया का कोई कोर्स लिया है। जिसकी सालाना फीस तकरीबन आठ लाख है।

उन्हें दुःख इस बात का हो रहा था कि 4 साल का कोर्स है जिसमें 32 लाख रुपए लगने वाले हैं!( इसमें उन्होंने रहने और खाने-पीने का खर्चा भी जोड़ दिया।) फिर वह मुझसे पूछने लगे आप भी इसी फील्ड में है….। क्या आपने ऐसा कोई कोर्स किया है?? बिना यह कोर्स किये भी आप कमा भी रहे हैं तो मेरे बेटे का मुझे यह फालतू खर्च लग रहा है!!

मैंने उन्हें समझाया कि ऐसी बात नहीं है सर यह फालतू खर्च नहीं है। दरअसल होता क्या है हर चीज को करने के दो तरीक़े होते हैं। एक तरीक़ा इंसान अपने आसपास के परिसर से और अपने अनुभव से सीख लेता है। दूसरा उसको करने का सही तरीक़ा प्रोफेशनल तरीक़ा जिसे कहते हैं वो होता है।

आपका लड़का जो कर रहा है वह प्रोफेशनली कर रहा है….। जिसे सीखने के बाद हो सकता है वह अपनी खुद की प्रिंटिंग प्रेस लगाए या बड़े लेवल पर काम करें। पढ़ाई का अपना महत्व है, इसे नकारा नहीं जा सकता।

लेकिन उनका सवाल फिर भी मुझे कचोट रहा था कि जब आपने वह कोर्स नहीं किया फिर भी आप अपना परिवार अच्छे से चला रहे हो फिर इसे करने की ऐसी क्या ज़रूरत है? मैंने उन्हें कहा देखिए जब मैं पढ़ाई करता था तब मुझे पता भी नहीं था ऐसा कोई कोर्स आता भी है। पता चल भी जाता तो भी मैं वह कर नहीं पाता क्योंकि हम इतने सक्षम नहीं थे…!!

मेरे सेकंड ईयर बी.कॉम के वेकेशन में पापा पैरालाइज्ड हो गए थे। जैसे-तैसे थर्ड ईयर कंप्लीट किया और भैया के साथ व्यापार में जुड़ गया….। उस दिन के बाद कभी शिक्षा की तरफ पीछे पलट कर नहीं देखा! पता ही नहीं चला कौन से कोर्स आए, कौन से नहीं आए….

हाँ जीवन में बहुत उतार चढ़ाव आए थे। जिसकी बदौलत आज यह व्यापार अपने बलबूते पर कर रहा हूँ और मेरा खुद का खड़ा किया हुआ है। मैं अपने व्यापार में मस्त हूँ और अपने परिवार के लिए जी रहा हूँ। आपका लड़का यह करना चाहता है तो उसे करने दीजिए। आख़िर सब की अपनी खुशी होती है।

उनके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव झलक रहे थे। मेरी बातों से संतुष्ट होकर फिर वे चले गए। लेकिन मुझे लिखने के लिए एक नया टॉपिक मिल चुका था। मैंने इसे एक कहानी – लेख के रूप में लोगों के सामने प्रस्तुत किया। मैंने जब यह बात उनके साथ साझा की तो वे अपने बेटे से कहने लगे देखो सुमित जी एक लेखक और कवि भी है और इसका भी उन्होंने कोई कोर्स नहीं किया है! यह सुनकर हम सभी हँस पड़े।

आप लोगों की इस विषय क्या राय है कमेंट करके जरूर बताएं।

 

सुमित मानधना ‘गौरव’

सूरत ( गुजरात )

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