पर्वत प्रदेश में पावस | Kavita
पर्वत प्रदेश में पावस
( Parvat Pradesh Mein Pavas )
पावसी बूंदे पड़ते ही पर्वत झूमने है लगते..
पेड़ पौधे फूल सभी मुस्कुराने है लगते ..
चट्टानों पर छा जाती है चाहुओर हरियाली
मानो उपवन में कोई मोर नाचने है लगते।
रिमझिम बूंदें है गाती भीगती है चोटियां…
छनन छनन खलल खलल गाती है नदिया …
झूमे मस्ती में पर्वत, पहाड़ और चोटिया
जैसे झीलो में नग्न होके नहाती है गोपियां।
अंबर जब है टूटने लगता पर्वत है डरने लगता…
अश्कों से समंदर भर जाता नर जब रोने लगता….
वर्षा ऋतु जब आती है बादल है फटने लगते
तब व्यथित मानव त्राहि-त्राहि है करने लगता ।
लेखक– धीरेंद्र सिंह नागा
(ग्राम -जवई, पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )
उत्तर प्रदेश : Pin-212218
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