
याद आने लगे
( Yaad aane lage )
वो गुजरे जमाने सताने लगे।
घड़ी हर घड़ी याद आने लगे।
देख उनको लब मुस्कुराने लगे।
दिल के तार संगीत सजाने लगे।
मेहमान घर पे जब यूं आने लगे।
दीप खुशियों के हम जलाने लगे।
गीत मंचों पे जब से गाने लगे।
तराने सुहाने हमको आने लगे।
हंसी लम्हे मन को लुभाने लगे।
पल वो सुहाने याद आने लगे।
शब्द शब्द रस बरसाने लगे।
सजी महफिलें महकाने लगे।
बरसे बादल झड़ी यूं लगाने लगे।
नेह की सरिता में हम नहाने लगे।
पीर औरों की जब से मिटाने लगे।
सुखद एहसास हमको आने लगे।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )