Poem on world of hate in Hindi
Poem on world of hate in Hindi

नफरत की दुनिया

( Nafrat ki duniya )

 

कितनी अजीब है यह कितनी लगे बेगानी
नफरत की यह दुनिया ये कैसी है कहानी

 

झूठ कपट भरा पड़ा इस मतलबी संसार में
नफरतों का जहर घुला लोगों के व्यवहार में

 

तीर सरीखे बोल कड़वे शक की सुई घूमती
वहम की कोई दवा नहीं मुश्किलों को चूमती

 

मीठे बोल रहे नहीं नफरतों की इस दुनिया में
स्वार्थ का खेल सारा चल रहा इस जहान में

 

कड़वाहट भरी लफ्जों में बहती कहां रसधार
कहां गए वो बोल मीठे कहां गया मृदुल प्यार

 

सारे रिश्ते नाते अब नित जमाने में बदल रहे
अपना उल्लू सीधा करने लोग चालें चल रहे

 

गटक रहे हक औरों का अहम का बोलबाला है
नफरत की दुनिया में छीनते मुख का निवाला है

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

अब तक भी आस अधूरी है | Geet ab tak bhi aas adhoori hai

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here