देखो योगी आया है | Poem On Yogi Adityanath
देखो योगी आया है
( Dekho yogi aya hai )
भगवा चोला भगवा साफा,भगवा ध्वज लहराया है।
रूद्रों की वो माला पहन के, देखो योगी आया है।
काशी मथुरा और अयोध्या को, चमकाने आया है।
धर्म सनातन का परचम, जग में लहराने आया है।
उठो सनातन वंशी तुम आर्यो के वंशज सजक रहो।
सुप्त हो रहे हिन्दू मन को, पुनः जगाने आया है।
सोच के देखो तुम भविष्य की,उज्जवल रश्मि रवि की।
पढ़ करके इतिहास समझ लो, दर्द मिटे हिन्दू की।
मन भटका तो पथ भटकेगा, पथ भटका तो धर्म नही।
धर्म नही तो कुछ भी नही है तुम भी ना ये भारत ना।
सोच समझ करो फैसला,संततियों को क्या देना है।
धर्म सनातन देना है या, कटी, शिखा संग जीना है।
भर लो तुम हुंकार हृदय में, वो जग महकाने निकला है।
रूद्रों की वो माला पहन के, देखो योगी निकला है।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )
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