Poem on zamana

कैसा अजब ये जमाना आया | Poem on Zamana

कैसा अजब ये जमाना आया

( Kaisa ajab ye zamana aaya )

 

 

आज कैसा अजब यह ज़माना आया,

कही पर धूप और कही पर है छाया।

हाल बेहाल है सभी का बिन यें माया,

देश यह सारा जैसे आज है घबराया।।

 

महामारी ने सभी देशों को है हिलाया,

उदासियाॅं सबके चेहरे पर यह लाया।

घुट-घुटकर जी रहें थें यहाॅं-वहाॅं सभी,

प्रकृति ने सबको यह पाठ समझाया।।

 

इस कोरोना ने सभी को बहुत डराया,

मिलने से घबराया स्वयं का ये साया।

कोई समझ नही पाया अपना-पराया,

आया काम वह जो ख़ुद का कमाया।।

 

रीती-रिवाज और व्यवहार भी बदला,

मुॅंह पर लगाया जैसे मोटा सा ताला।

उजालें में भी लग रहा था यह ॲंधेरा,

लेकिन पर्यावरण हो गया ये निराला।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *