पयाम-ए-इश्क़ | Payaam-e-Ishq
पयाम-ए-इश्क़
( Payaam-e-Ishq )
पयाम-ए-इश्क़ है ये दिल्लगी नहीं प्यारे
है दिल की बात कोई सर-ख़ुशी नहीं प्यारे
गुनाह वो करें लेकिन सज़ा मिले हमको
ये फ़ैसला भी ख़ुदा का सही नहीं प्यारे
चमन से रुठी बहारें हैं एक मुद्दत से
यहाँ पे डाली कोई अब हरी नहीं प्यारे
सुनाते दर्द ही दिल का हमेशा महफ़िल में
ये शायरी तो कोई शायरी नहीं प्यारे
दिलों में दूरियां शिकवे गिले भी लाखों हों
तो दोस्ती भी कोई दोस्ती नहीं प्यारे
मिटी है हसरतें सब और न आरज़ू कोई
निग़ाह में मेरी पर बेबसी नहीं प्यारे
न मयकशी न मुहब्बत न है कोई चाहत
कि हुस्न में भी है अब दिलकशी नहीं प्यारे
लिबास बदला है बदली है सोच लोगों की
अब इस सदी में तो तहज़ीब भी नहीं प्यारे
भला न जिससे कभी हो किसी का भी मीना
वो बंदगी भी कोई बंदगी नहीं प्यारे
कवियत्री: मीना भट्ट सिद्धार्थ
( जबलपुर )
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