Ram se Ayodhya
Ram se Ayodhya

राम से अयोध्या, अयोध्या के राम है

( Ram se ayodhya, ayodhya ke Ram hai ) 

 

काल के कपाल पे, लिखा ये दिव्य नाम है।
राम से अयोध्या, अयोध्या के राम है।
हृदय से जो मिटा नही, यही वो पावन धाम है।
जन्म से समाधि तक, हुंकार यही काम है।

राम से अयोध्या, अयोध्या के राम है….

जो सृष्टि संग उदित हुआ,सरयू का जहाँ घाट है।
जहाँ हरिशचन्द्र जन्मे थे, सब पाप का ये पाट है।
रज राम का जिसमें बसा,माँ जानकी बनी ब्यहता,
यह दिव्य भूमि अयोध्या, भक्ति का जहाँ हाट है।

राम से अयोध्या, अयोध्या से राम है……

वनवास जहाँ राम का, त्रेता में खत्म हो गया।
पर पाप अपने कर्म का, कलयुग में भी है झेलता।
रघुवंश की अयोध्या, क्या क्या नही जिसने सहा,
कभी कैकयी कभी मंथरा,मुलायम भी इसको मिला।

राम से अयोध्या, अयोध्या से राम है….

विधि का विधान ठेठ है, जो मिट सके ना लेख है।
जो दिव्य थी अयोध्या, विस्मित सी वो अभिलेख है।
पर पलट रहा भाग्य है, जहाँ राम बस श्रीराम है,
वैभव पुरातन मिल रहा, स्वर्ण मृग का नही भान है।

राम से अयोध्या, अयोध्या से राम है…..

दीपों से फिर जलेगी हाँ, दीपावली मनेगी हा।
मन्दिर बनेगा भव्य जब, चाँदी का होगा पालना।
जहाँ रामजी का राज्य था,जहाँ रामजी का राज्य है,
हुंकार ले सब मिल कहो, मेरे राम ही भगवान है।

राम से अयोध्या, अयोध्या से राम है….

 

कवि :  शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

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