आरंभ चैरिटेबल फाउंडेशन का अभिनव काव्य पाठ- बोट के अंदर “रंग तरंग “
विश्व प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था ” आरंभ चैरिटेबल फाउंडेशन ” के साहित्यकारों द्वारा होली उत्सव पर बोट क्लब पर ‘रंग तरंग’ साहित्यिक काव्य पाठ का आयोजन किया गया।
इंद्रधनुषी रंगों से छलकती इस शाम में बेंगलूरू(कर्नाटक) से पधारी डाक्टर नीलिमा दुबे विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुईं और अपने सुमधुर काव्य पाठ से सबका मन मोह लिया।
कार्यक्रम की अध्यक्ष अनुपमा अनुश्री ने कुछ इस तरह अपने काव्यात्मक उद्गार व्यक्त किये-
मेरी पंक्तियांँ
कैसा इंद्रधनुषी रंग,
तन- मन में घुला है!
बजे चंग हर अंग,
अंनग से मिला है।
अबीर- गुलाल,
फिजा में ठहरा है।
खुद पर न कोई पहरा है
टेसू पलाश संग ,रंग गहरा है।
वक्त थम के निहारेगा,
रंग -रंगीली होगी
ये सुबह ओ शाम।
शहर की प्रसिद्ध चित्रकार और साहित्यकार डाॅ रेखा भटनागर नें पढ़ा-” रेखाएँ रह जायेंगी, स्मृतियाँ रह जायेंगी। ”
वरिष्ठ साहित्यकार उषा सोनी ने भी ब्रज की होली को अपनी रचना में खूबसूरती से उकेरा। डॉ सुलभा मकोड़े ने होली का खूबसूरत वर्णन किया –
“चटक गए टेसू, खिल गए पलाश। गुलाल के रंगों ने जगाई जीवन में नई आस”
इसी क्रम में परी जोशी नें भी होली के अवसर का सुन्दर चित्र उकेरती हुई रचना का पाठ किया और खूब वाह वाही बटोरी।
कार्यक्रम का संचालन कर रही बिन्दु त्रिपाठी ने होली का चित्रण अपनी रचना में किया-“लाल गुलाबी नीले पीले बिखरेंगे अब रंग।
पिया बसे परदेश सखी, मैं होली खेलूं किसके संग।
वहीं उषा सोनी ने ब्रज की होली का सुंदर वर्णन किया -बरसाने में रस की फुहार ।
राधा- कृष्ण का हो रहा श्रृंँगार।
इस अवसर पर रचनाकारों द्वारा एक दूसरे को रंग गुलाल लगा कर स्वागत किया गया।
कार्यक्रम का सफल संचालन बिन्दु त्रिपाठी ने किया।
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