Ration Card

एक दिन ईशा रसोई के सारे डिब्बे साफ करके बड़े खुश थी सोच रही थी के पहिले के जमाने में कितने बड़े कंटेनर होते थे परंतु आजकल आधुनिकता के चलते सुपरमार्केट या मॉल में से सिर्फ पैकेट ही प्राप्त किए जाते हैं ।

वजन ढोने के चलते लोग उतना ही पैकेट या समान ले लेते हैं दो या चार किलो और इससे ज्यादा नहीं ताकि घर में जगह के साथ अनाज में कीड़े न लगे और सफाई न करना पड़े।

यह एक बड़ा कारण है आधुनिकता के चलते राशन स्टोर न करने का । पर ईशा को तो अभी भी वही किचन याद आ रहा था जिसमें 25 ,25 या 50 किलो एक क्विंटल अनाज रखा रहता था और कभी कम या ज्यादा पड़ता ही नहीं था।

बड़े दुख मन से बैठी थी और सोच रही थी इतने में ही ईशा ने अपनी बात कनिष्का बिटिया से कहीं , की पता है हमारे जमाने में किचन में कितना सामान हुआ करता था के एक दिन में सफाई करना संभव ही न था ।

तभी कानिष्का बिटिया बड़े प्यार से ही सुनकर मुस्कुरा रही थी बहुत छोटी होने के कारण उसे बिल्कुल समझ ना थी पर ये मालूम था राशन कार्ड पर समान मिलता है और मजाक में ही बोल पड़ी की राशन कार्ड बनवा लो सब वैसा ही हो जाएगा जैसा पहिले था। उसकी बात सुनकर मेरी हसी छूट पड़ी और दुख एक अनूठे सुख में बदल गया।

तुरंत ही उसके पिताजी को कॉल मिलाया और बताया की आज तो कनिष्का बिटिया ने बड़ी समझदारी की बात की है और उसको सुनते ही वो भी हस पड़े और बोले
” अब तो जुगाड लगाना ही पड़ेगा राशनकार्ड का ” कभी-कभी बच्चों की छोटी-छोटी बातें घर में दुख का माहौल सुख में परिवर्तित कर देती हैं।

आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश

[email protected]

यह भी पढ़ें :-

चाय पर : हाइकु

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here