सहारे छोड़ के सारे लिया उसका सहारा है

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सहारे छोड़ के सारे लिया उसका सहारा है

(Sahare Chhod Ke Sare Liya Uska Sahara Hai)

 

सहारे  छोड़  के  सारे  लिया  उसका  सहारा है।
जहां के साथ में हरग़िज नहीं अपना गुजारा है।।

 

बिना  मांगे  हमें  देता  वही जो चाहिए हमको।
बशर से मांगना हमको नहीं हरगिज़ गवारा है।।

 

सुखों  को  तू  कहां  ढूंढे ज़रा भीतर कभी देखो।
भटकना छोड़ दे दर-दर वही सुख का दुआरा है।।

 

वही सबको बचाता है मुसीबत से जहां भर की।
भंवर  में डूबते को भी दिया उसने किनारा है।।

 

चला  आता  बुलाने  से  भरोसा करके तो देखो।
सँभाला हर बशर को तब जहां जिसने पुकारा है।।

 

पढो बेशक ग़ज़ल मेरी नहीं अल्फ़ाज ही पढना।
ज़रा उस पर नज़र ङालो जो दर्दे-दिल हमारा है।।

 

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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(M A. M.Phil. B.Ed.)
हिंदी लेक्चरर ,
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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