कवि सम्मेलन

भावांजलि कला एवं साहित्य मंच और अखिल भारतीय सांस्कृतिक चेतना मंच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ कवि सम्मेलन

आज रविवार दिनांक 6 अप्रैल, 2025 को प्रातः फारूका खालसा सीनियर सेकेंडरी स्कूल, अंबाला छावनी के प्रांगण में भावांजलि कला एवं साहित्य मंच, अंबाला और अखिल भारतीय सांस्कृतिक चेतना मंच, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में शानदार कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें दिल्ली, मधुबनी, देवरिया, चंडीगढ़, कुरुक्षेत्र और इस्माईलाबाद से पधारे कवि-कवयित्रियों के साथ अंबाला की भी जानी मानी हस्तियां उपस्थित रहीं।

कवियों ने हिन्दी, पंजाबी और उर्दू की रचनाओं और ग़ज़लों से समां बांध दिया। दीप प्रज्वलन से शुरू हुआ कार्यक्रम हंसराज माही जी के सुंदर गीत और अतिथियों को मंच और विनय मल्होत्रा जी के सौजन्य से स्मृति चिह्न और उपहार भेंट करने पर खत्म हुआ।

विद्यालय के प्राचार्य श्री के. पी. सिंह , भावांजलि के मार्गदर्शक ओम बनमाली और दिल्ली से आशीष द्विवेदी, बबली गुज्जर , प्रतापगढ़ से श्रद्धा त्रिपाठी और मधुबनी से नीलमणि झा, चंडीगढ़ से करण सहर और मुसव्विर फिरोज़पुरी विशिष्ट अतिथियों में शामिल रहे।अंबाला से रविन्द्र रवि, गुरचरण सिंह जोगी, तनवीर जाफरी, अभिषेक शर्मा, जगमाल सिंह, लाभ सिंह, पंकज शर्मा, कुरुक्षेत्र से मंजीत सिंह और इस्माईलाबाद से दिव्या कोचर की भी कवियों के रूप में गरिमामयी उपस्थिति रही।

मंच संचालन भावांजलि की संस्थापक प्रख्यात शाइरा अंजलि सिफ़र द्वारा किया गया।
कवियों के बोल कुछ इस प्रकार थे-

जेब में वॉलेट उसमें हैं पैसे जब तक,
सब रिश्ते नाते भी हैं केवल तब तक।
-अंजलि ‘सिफ़र’।
मैं अँधेरों का तरफ़दार नहीं हूँ लेकिन,
कुछ उजालों ने भी कोहराम मचा रक्खा है।
-मुसव्विर फ़िरोज़पुरी।
इश्क़ करने की ज़िद नहीं करते,
इश्क़ करने की चीज़ है प्यारे।
-करन ‘सहर’।
चाँद और सितारे अब हमारे, दोस्त नहीं रहे,
रूठे नहीं मगर, जुदा से हो गए हैं, जबकि जुदा नहीं हैं।
-पंकज शर्मा।
तेरी मुस्कान विचले दर्द नूं पहचाणदा हां,
तेरे बारे मैं तेरे तों वी बेहतर जाणदा हां।
-गुरचरण सिंह ‘जोगी’।
कितने तराने सुने हमने लेकिन,
धड़कन की धुन सी कोई धुन नहीं है।
-नीलमणि झा।
मेरे समंदर!
मुझे ऐसी चुप लग गयी है देखो,
मेरी आवाज मेरे दिल तक भी नहीं पहुँच पाती।
-बबली गुज्जर।
शाहज़ादी तेरी जूती भी उठा सकता हूँ मैं,
शाहज़ादी इश्क़ में मेरे अना है ही नहीं।
~कवि आशीष द्विवेदी।
कल ही आया हूं फिर से मैं मिल कर उसे,
वो लड़की जैसे कि बिल्कुल राधा हो गई।
~ श्रद्धा त्रिपाठी।
ख्वाब में ही विसाल होता है,
बारहा ये कमाल होता है।
-जगमाल सिंह।
रोज़ न लगती रौनकें, रोज़ न होता शोक।
इक रंगी जीवन कभी, रहा नहीं इस लोक।
-ओम बनमाली।
काम होगा ज़रूर कुछ उसको,
वरना हमको सलाम किस लिए है?
-रविन्द्र रवि।
अमर शहीदों की संसद से मुझको चिठ्ठी आई है,
मेरी मां ने देश प्रेम की घुट्टी मुझे पिलाई है।
-लाभ सिंह।
इंतजार में बैठी अहिल्या,
क्या कलयुग में राम मिलेगा।
-दिव्या कोचर।
मेरे मन में सब की चिन्ता, जबर भरोटे आला सू,
दिन रात कमाऊ मैं फेर भी, थाली लौटे आला सू।
-मंजीत सिंह।
राहें अदब के हमने अंधेरे मिटाए हैं,
जितने नए चिराग हैं हमने जलाए हैं।
-तनवीर ज़ाफरी जी।
आओ जवानों सर्दी काटें, हेल्थी ड्रिंक पीकर,
शराब को ठुड्ड मारें हेल्थी ड्रिंक पीकर….!
-डॉ विनय कुमार मलहोत्रा।
दूर आसमान में मंजिल है मेरी,
दूर समंदर में डाल देते हैं, और कहते हैं उड़ो।
अभिषेक शर्मा।

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