जादूगर-सम्राट शंकर | कला के सच्चे उपासक
जादूगर-सम्राट शंकर का हर शो पारिवारिक शो होता है। जादू ही एकमात्र ऐसा शो है, जिसके एक-एक महीने तक टिकट शो लगते हैं और भारी भीड़ जमा होती है। बड़े-से-बड़े सिंगर-डांसर इत्यादि के एक आध या दो प्रोग्राम ही होते हैं, जो पूरे परिवार के साथ बैठकर नहीं देखे जा सकते।
शंकर अपनी कला के माध्यम से अंधविश्वास को दूर करते हैं, हालांकि वह भी धार्मिक कपड़े पहनकर और कुछ भी दिखाकर लोगों को भ्रमित करके पैसा कमा सकते हैं। बहुत से तथाकथित लोग दो-चार चीज सीखकर लोगों को गुमराह करते हैं, लेकिन वह लोगों का भ्रम दूर करते हैं। सम्राट शंकर नशा-मुक्ति, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, पर्यावरण-संरक्षण और पानी के दुरुपयोग पर भी बहुत से शो करते हैं, जो समाज को जागरूक करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जादूगर-सम्राट शंकर का जन्म 1948 में ऐलनाबाद (तत्कालीन पंजाब) में हुआ था और उनका पालन-पोषण श्री करणपुर में। शांत स्वभाव और लंबे-पतले शंकर का व्यक्तित्व सुंदर और आकर्षक है।
शैक्षणिक दृष्टि से, वह एक प्रतिभाशाली छात्र थे, जिन्होंने अपनी पढ़ाई एमकॉम तक की। उन्होंने तीस हजार से अधिक स्टेज शो किए हैं। वह एक जादू गुरु है, जो अपने पचास सदस्यों की टीम के साथ तीन घंटे के शो में चमत्कार कर सकते हैं।
जादू के प्रति उनकी प्रवृत्ति ने शंकर को 12 वर्ष की छोटी उम्र में विभिन्न प्रतिष्ठित जादूगरों के मार्गदर्शन में इस खूबसूरत कला का आगे प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित किया। जादू के इतिहास में जादूगर-सम्राट शंकर वास्तव में अद्वितीय हैं। वह भारत के कुछ विश्व स्तरीय कलाकारों में से एक हैं।
वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद् तथा जादूगर-सम्राट शंकर के आत्मीय मित्र डॉ. रामनिवास ‘मानव’ कहते हैं, “जादू-कला हो या जीवन-कला, कला के सच्चे उपासक हैं शंकर मोदी।
जादू-कला के क्षेत्र में तो उन्होंने पूरे विश्व में अपनी कीर्ति का परचम लहराया ही है, जीवन-कला के क्षेत्र में भी उनकी उपलब्धियां कुछ कम नहीं हैं। जादूगर बनने से पहले ही उन्होंने अपनी माता श्रीमती गीता देवी को वचन दिया था कि मैं जादू-कला का उपयोग समाज के कल्याण के लिए करूंगा, स्वार्थ के लिए नहीं।
अपने इस वचन का उन्होंने पूरी निष्ठा से पालन किया है। इसका प्रमाण यह है कि विश्व-भर में जादू के तीस हजार शो करने वाले शंकर ने बीस हजार शो चैरिटी के लिए किये हैं और मात्र दस हजार शो अपने जीवन-यापन के लिए। जादू-कला हो या जीवन-कला, दोनों में मानवीय मूल्यों का समुचित सामंजस्य स्थापित करने वाले इस महान कलाकार को मेरा सादर नमन।”
सम्राट शंकर देश के ऐसे जादूगर हैं, जो निरंतर अपनी जादू कला को समर्पित हैं। देश-विदेश में अब तक तीस हजार जादुई शो कर चुके सम्राट शंकर जिस भव्यता से अपने शो करते हैं, उसके लिए उन्हें देश का नंबर वन जादूगर कहा जाता है। साथ ही, इसलिए भी कि क्योंकि उनका जादू देश की अनेक बड़ी हस्तियाँ भी देख चुकी हैं, जिनमें अटलबिहारी वाजपेयी, नरेन्द्र मोदी, रामनाथ कोविन्द, ज्ञानी जैल सिंह, भैरोंसिंह शेखावात, अमित शाह, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, जेपी नड्डा, अर्जुनराम मेघवाल और मीनाक्षी लेखी तक कितने ही नाम हैं।
यूं विभिन्न राज्यों के कितने ही राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ धर्मेन्द्र, हेमा मलिनी, मनोज कुमार, अनिल कपूर, जूही चावला और कटरीना कैफ जैसी बहुत-सी फिल्मी हस्तियाँ भी उनके जादू से मंत्रमुग्ध हो चुकी हैं। मैंने स्वयं उनके जादुई शो कई बार देखे हैं। दूरदर्शन पर उनके जादू के साथ उनके इंटरव्यू की भी एक सीरीज मैंने की है।
शंकर के जादू की खास बात यह भी है कि उसे कितनी ही बार देख लें, लेकिन उसमें दिलचस्पी बराबर बनी रहती है। फिर वह अपने जादू में सामाजिक संदेश और शिक्षा देने के साथ दर्शकों को जागरूक करने का काम भी करते हैं। सम्राट शंकर बताते हैं-‘’मैंने जब 1973-74 के दौर में अपने जादुई खेलों की शुरुआत की थी, तभी यह फैसला लिया था कि जादू के प्रति लोगों की जो भ्रांतियाँ हैं, जो अंधविश्वास हैं, उन्हें दूर करूंगा।
बहुत-से लोग जादू को तंत्र-मंत्र यानी जादू-टोने का खेल मानते हैं। लेकिन मैं शुरू से कहता आया हूँ कि जादू एक कला है। हाथ की सफाई का खेल है। इसलिए मैं दर्शकों को भव्यता के साथ साफ-सुथरा मनोरंजन परोसता हूँ। लेकिन इस सबके साथ मैं अपने शो में पर्यावरण, स्वच्छता, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, जल बचाओ, प्लास्टिक और पोलिथीन का इस्तेमाल न करने के संदेश भी देता हूँ।
मैं अब तक देश-विदेश में तीस हज़ार शो कर चुका हूँ, जिनमें बीस हजार से ज्यादा शो तो मैंने सिर्फ चैरिटी के लिए किए हैं। कभी सूखा, बाढ़ और भूकंप प्रभावित लोगों की सहायतार्थ, तो कभी मुख्यमंत्री राहत-कोश और रेडक्रॉस जैसी संस्थाओं के लिए। मुझे आज भी अपने शो करने में वैसी ही सुखद अनुभूति होती है, जैसे बरसों पहले होती थी।
जादूगर-सम्राट शंकर द्वारा किए गए देश-विदेश में तीस हजार शो में से बीस हजार चैरिटी के लिए किए गए हैं। गूंगे बच्चों के स्कूल की मदद के लिए, देश पर आई आपदा, जैसे फ्लड के लिए, रेडक्रॉस के लिए या मुख्यमंत्री-प्रधानमंत्री रिलीफ फंड के लिए शो किए हैं।
ये अब तक लगभग दो करोड़ रुपए सरकार को डोनेट कर चुके हैं। इनका मुख्य मकसद जादू कला को जिंदा रखना है। बड़ा दुख है कि आज 140 करोड़ की आबादी में 140 बड़े लेवल के जादूगर नहीं है। अगर सरकार ने इस और ध्यान नहीं दिया तो यह कला लुप्त हो जाएगी।
डॉo सत्यवान सौरभ
कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,
333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी,
हरियाणा
यह भी पढ़ें :-