अप्रैल फूल बनाना पड़ा महंगा

“अप्रैल फूल” बनाना पड़ा महंगा

मजाक की अपनी एक सीमा होती है। कुछ पल के लिए उसे बर्दाश्त किया जा सकता है जब तक की किसी को शारीरिक/मानसिक या आर्थिक हानि ना पहुँचे। यादों के झरोखों से एक किस्सा  साझा कर रहा हूँ।

यह उन दिनों की बात है जब हम स्कूल में सिक्स्थ स्टैंडर्ड में पढ़ते थे। इत्तेफाक से हमारी क्लास टीचर का जन्मदिन अप्रैल में आता था। उन्हें देने के लिये हम सभी बच्चों ने पैसे इकट्ठे करके एक गिफ्ट लिया था।

हम लोग गिफ्ट क्लास में ही देने वाले थे। तभी जो लड़की क्लास की हेड (मॉनिटर) थी उसे का एक तरकीब सूझी। वह बोली अप्रैल फूल का  महीना  चल रहा है इसलिए टीचर को हम गिफ्ट के बदले नकली डिब्बा दे देंगे।

हमने उसे समझाया टीचर के साथ इस तरह का मजाक करना अच्छी बात नहीं है। लेकिन वह हेड थी इसलिए उसने किसी की नहीं सुनी।

उसने  क्लास में टीचर को वो डिब्बा थमा दिया जिसमें पत्थर और घास फूस थे। डिब्बा खुलने पर हमारी टीचर को  बहुत गुस्सा आया।

बाद में सभी बच्चों ने सॉरी कहा, लेकिन उन्हें बहुत ज़्यादा गुस्सा आया। उन्होंने हम में से किसी को माफ नहीं किया।

फिर हम लोग उनके घर पर गए और वहाँ जाकर उन्हें गिफ्ट दिया। बहुत बार रिक्वेस्ट की। आइंदा से इस तरह की गलती हम कभी नहीं दोहराएंगे यह विश्वास दिलाने के बाद उन्होंने वह गिफ्ट स्वीकार किया।

यह किस्सा जब मुझे आज भी याद आता है तो मन पीड़ित हो जाता है।

कवि : सुमित मानधना ‘गौरव’

सूरत ( गुजरात )

#sumitkikalamse

यह भी पढ़ें :-

अप्रेल फूल | एक हास्य कविता

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *