Shabdon ki Doli
Shabdon ki Doli

शब्दों की डोली गजलों की दुल्हन

( Shabdon ki doli ghazalon ki dulhan ) 

 

शब्दों की डोली सजी गजलों की सजी दुल्हन।
सभा सारी सुरभीत हुई खुशियों भरा तन मन।
हलचल मन में हुई सजन

पिया मिलन को प्रेमपाश में चली सरिताएं आतुर।
शब्द सुरीले मन को मोहे हृदय उमड़े गीत प्रेमातुर।
छंद मुक्तक दोहे झूमते कर रही घनाक्षरी घननाद।
वाणी का दरबार सजा वाणी पुत्र करे आल्हाद।
लेखनी का जादू छाया खिल उठा सारा चमन।
कलमकार बड़भागी हुए भावों का बरसे सावन।
हलचल मन में हुई सजन

चौपाई चंचल हुई अब सोरठा हुए सब सुर ज्ञान।
कुंडलियां कर्ण प्रिय वाणी सवैया अधर मुस्कान।
महावर रची गजलें सारी महफिल को महका रही।
प्रियतम प्रीत भरी बातें हर्षित हो मन हरसा रही।
काव्य के महामिलन में सुमन बरस रहे गगन।
सजे-धजे शब्द सारे साहित्य हो रहा मगन।
हलचल मन में हुई सजन

 

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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