Bhagat singh par kavita
Bhagat singh par kavita

शहीदे आजम भगत सिंह

( Shaheed-E-Azam Bhagat Singh )

 

 

राजगुरु सुखदेव भगतसिंह हमको आजाद चाहिए

वतनपरस्ती दिलों में जोशीले जज्बात चाहिए

 

भारत मां को वीर सपूत धरा को बलिदान चाहिए

आजादी का दीवाना हमें भगतसिंह जवान चाहिए

 

सरजमी पर मिटने वालों का दौर फिर लाना होगा

वतन की पुकार फिर से भगतसिंह को आना होगा

 

भगतसिंह का जज्बा देखो फांसी पर चढ़ जाता

मातृभूमि का मतवाला जिद पे अपनी अड़ जाता

 

क्रांतिकारी वो आजादी का तूफां से टकराता हो

इंकलाब पर इंकलाब वंदे मातरम गाता हो

 

देशप्रेम हो देश वास्ते रग रग में रक्त जगाना होगा

वतन की पुकार फिर से भगतसिंह को आना होगा

 

हर इंसान के दिल में कहीं भगत सिंह सोया होगा

स्वार्थ भरी दुनिया में कहीं दबा हुआ खोया होगा

 

सोए हुए भगतसिंह को दिलों में जगाना होगा

रणवीरों देश बचाने हम सबको आगे आना होगा

 

हम मतवाले यारों खुद को फौलाद बनाना होगा

वतन की पुकार फिर से भगतसिंह को आना होगा

 

एक ओर सीमा पर सैनिकों ने खून बहाया है

मार कुंडली भ्रष्टाचार ने अपना फन फैलाया है

 

भ्रष्टाचारी गद्दारी है दोषी को सबक सिखाना होगा

चौराहों पे सरेआम फांसी पर लटकाना होगा

 

गैरों से पहले खुद अपने मन का चोर मिटाना होगा

वतन की पुकार फिर से भगतसिंह को आना होगा

 

सुरसा सी महंगाई हमें कब तक निगलती रहेगी

वोटों की राजनीति से कब तक चोटे मिलती रहेगी

 

पानी नहीं इसे बुझाने शोणित सैलाब लाना होगा

दिलों में अंगार लिए ज्वालामुखी बन जाना होगा

 

ज्वाला में खुद को तपकर कुंदन हो जाना होगा

वतन की पुकार फिर से भगतसिंह को आना होगा

 

जल रहे हैं लोग बस दिलों में नफरते लिए

भाई प्यासा खून का हाथों में शमशीरे लिए

 

लड़ रहे जनमानस सारे मजहब के नाम पर

भड़क उठते जाने क्यों नेकी के काम पर

 

नफरते नहीं दिलों में हमको देशप्रेम जगाना होगा

वतन की पुकार फिर से भगतसिंह को आना होगा

 

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कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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