शारदीय नवरात्रि | Shardiya Navratri
नवरात्रि का पर्व सम्पूर्ण भारत वर्ष के प्रमुख त्यौहारों/पर्वों में से एक है। हर साल इन नवरात्रि के दिनों में माता रानी के नौ रूपों का पूजा एवं पाठ किया जाता है। जिसमें
पहली: शैलपुत्री,
दूसरी: ब्रह्मचारिणी,
तीसरी: चंद्रघंटा,
चौथी: कूष्माण्डा,
पांचवीं: स्कंद माता,
छठी: कात्यायिनी,
सातवी: कालरात्रि,
आठवीं: महागौरी
नौवीं: सिद्धिदात्री
हर दिन किसी एक रूप का ख़ास महत्त्व होता है माता रानी ने यह नौ रूप अलग-अलग समय आवश्यकतानुसार दैत्यों का सर्वनाश करने के लिए धारण किया था। जिसका उल्लेख हमको कई ग्रन्थों में पढ़ने को मिलता है। इस सम्पूर्ण सृष्टि की सत्ता माता रानी द्वारा ही संचालित है।
इन दिनों में माता रानी के रूपों की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। जगह-जगह इनकी मूर्तियां स्थापित की जाती है। घर-घर माता की चौकी (मूर्ति) स्थापित की जाती है । पांडाल सजाएं जाते है भण्डारे लगाए जाते है और रात्रि को जागरण/जगराता भजन कीर्तन किया जाता है ।
साधक विभिन्न प्रकार के मंत्रों का पाठ एवं हवन आदि भी करतें है ऐसा करनें से माता रानी प्रसन्न होती है और भक्तों को मनचाहा फल प्रदान करती है। नवरात्रि का पर्व साल में दो बार आता है इन दिनों में आनें वालें नवरात्रों को हम शारदीय नवरात्रा कहते है।