उम्मीद फिर से दिल में जगा कर चले गये | Shayari on Ummeed
उम्मीद फिर से दिल में जगा कर चले गये
( Ummeed phir se dil mein jaga kar chale gaye )
उम्मीद फिर से दिल में जगाकर चले गये
चाहत का दिल में दरिया बहाकर चले गये
लगता नहीं है दिल कहीं उनके बग़ैर अब
तूफ़ान ज़िन्दगी में वो लाकर चले गये
समझे नहीं थे हम कभी दिल की ज़ुबान को
है इश्क़ हमसे कितना बताकर चले गये
ख़ुशियों से ज़िन्दगी का रहा वास्ता नही
मौसम बहारों के भी हैं आकर चले गये
आये वो ले के शोला बदन बज़्म में औ फिर
उस अंजुमन में आग लगाकर चले गये
जो इश्क का जुनून था उनके मिज़ाज में
वो था फ़रेब बस ये जताकर चले गये
तन्हा हमारी ज़िन्दगी अलका हो गई
ख़ुशियों की लौ को जब वो बुझाकर चले गये
अलका मित्तल
मेरठ (उत्तर प्रदेश )
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