Ghazal | हमें न ज़ोर हवाओं से आज़माना था
हमें न ज़ोर हवाओं से आज़माना था ( Hame Na Zor Hawaon Se Aazmana Tha ) हमें न ज़ोर हवाओं से आज़माना था वो कच्चा धागा था उसको तो टूट जाना था वो मेरे ज़हन में ढलता गया ग़जल की तरह मेरा मिज़ाज ही कुछ ऐसा शायराना था हज़ारों फूल से खिलते…