Basant ritu par Kavita

बसंत ऋतु के आगमन पर | Basant Ritu par Kavita

बसंत ऋतु के आगमन पर ( Basant ritu ke aagman par )   मदिर से है बसंत, आये हैं जी पाहुने से सखि पिया बिन मोहे, कछु न सुहावत है।। खखरा के पात उड़, उड़ आये द्वारे आज पवन के झौकन भी, जिया को जगावत है।। अमुआ के बौर वाली, वास है सुवास आली महुआ…

Basant kavita

बसंत | Basant kavita

बसंत ( Basant )   चंचल मन हिलोरे लेता, उमंग भरी बागानों में। पीली सरसों ओढ़े वसुंधरा, सज रही परिधानों में ।   मादक गंध सुवासित हो, बहती मधुर बयार यहां। मधुकर गुंजन पुष्प खिले, बसंत की बहार यहां ।   गांव गांव चौपालों पर, मधुर बज रही शहनाई है। अलगोजों पर झूम के नाचे,…

बसन्त ऋतु

बसन्त ऋतु | Basant ritu par kavita

बसन्त ऋतु ( Basant Ritu )   प्रकृति उत्सव चली मनाने, पीत वसन काया पर है । नव पल्लव की पायल पहने, राग रंग बसा रग रग है।।   पैर धरे न अब धरती पर, लाज शरम सब छूट गयी। ऋतुओं के राजा से मिलने, चूनर धानी ओढ़ गयी।।   बौरों के आभूषण पहने, बौरायी…