हमारे पूर्वज

हमारे पूर्वज | Hamare Purvaj Kavita

हमारे पूर्वज ( Hamare purvaj )   परिवार  की  नींव  है पूर्वज, संस्कारों के दाता है। वटवृक्ष की छांव सलोनी, बगिया को महकाता है।   सुख समृद्धि जिनके दम से, घर में खुशियां आती। आशीशों का साया सिर पर, कली कली मुस्काती।   घर के बड़े बुजुर्ग हमारे, संस्कारों भरी धरोहर है। धन  संपदा  क्या …

रात्रिकाल | Kavita

रात्रिकाल | Kavita

रात्रिकाल ( Raatrikaal )   दिन भर करते काम जो,अब हो आई शाम। थके थके से चल रहे, छोड़के सारा काम।।   सूरज  ढलने  से  हुई, ठंडी  तपती  धूप। रात सुहानी आ गई ,बिखरी छटा अनूप।।   चूल्हा घर-घर जल रहा,रोशन घर परिवार। कोई पशु को नीरता, कर रहा सार संभार।।   टिमटिम तारे कर…

गलतफहमी

Hindi Kavita | Hindi Poetry -गलतफहमी!

गलतफहमी! ( Galatfahmi ) ***** वो समझते हैं समझते नहीं होंगे लोग। वो उलझते हैं पर उलझते नहीं हैं लोग। वो सुलगाते हैं पर सुलगते नहीं हैं लोग। उम्र कद कर्म अनुभव संस्कार की कमी, लहजे से ही दिख जाता है, हर कहीं। कुछ ज्यादा ही उछलते है वो, आका के संरक्षण में पलते हैं…