ग़म यार हजार ज़ीस्त में है | Gam ghazal
ग़म यार हजार ज़ीस्त में है ( Gam yaar hajaar zeest mein hai ) ग़म यार हजार जीस्त में है इक पल न क़रार जीस्त में है रूठी है यहां प्यार की खुशबू कोई न बहार जीस्त में है कटती जीस्त जा रही है तन्हा कोई नहीं यार जीस्त में है …