Gam ghazal

ग़म यार हजार ज़ीस्त में है | Gam ghazal

ग़म यार हजार ज़ीस्त में है ( Gam yaar hajaar zeest mein hai )   ग़म यार हजार जीस्त में है इक पल न क़रार जीस्त में है   रूठी है यहां प्यार की खुशबू कोई न बहार जीस्त में है   कटती जीस्त जा रही है तन्हा कोई  नहीं  यार जीस्त में है  …

कट रहा है ग़म में जिंदगी का सफ़र!

Gam Bhari Shayari | कट रहा है ग़म में जिंदगी का सफ़र

कट रहा है ग़म में जिंदगी का सफ़र! ( Kat raha hai gam mein zindagi ka safar )     कट  रहा है ग़म में  जिंदगी का सफ़र! एक पल भी मिला कब  ख़ुशी का सफ़र   चाहकर भी नहीं जीस्त में हो पाता बस गया जीस्त में बेबसी का सफ़र   जिंदगी में यारों…

ग़म से कभी मैं यूं ही, परेशान नहीं होता 

ग़म से कभी मैं यूं ही, परेशान नहीं होता | Gam shayari

ग़म से कभी मैं यूं ही, परेशान नहीं होता  ( Gam se kabhi main yun hi, pareshan nahi hota )     दिल जो कि ख़ुशी से मेरा, वीरान नहीं होता, ग़म से कभी मैं यूं ही, परेशान नहीं होता   इबादत अगर जो करते, तुम सब ही ए लोगों, नाराज़ फिर सभी से वो,…