Gam Bhari Shayari | कट रहा है ग़म में जिंदगी का सफ़र
कट रहा है ग़म में जिंदगी का सफ़र!
( Kat raha hai gam mein zindagi ka safar )
कट रहा है ग़म में जिंदगी का सफ़र!
एक पल भी मिला कब ख़ुशी का सफ़र
चाहकर भी नहीं जीस्त में हो पाता
बस गया जीस्त में बेबसी का सफ़र
जिंदगी में यारों आशना ग़म से हूँ
कब मिला है ख़ुशी दोस्ती का सफ़र
ख़लिश लेकर दिल में जी रहा हूँ मैं तो
कब रहा है लबों पे हंसी का सफ़र
किस तरह हंस लेता जिंदगी में भला
जीस्त में जब गुजरे है नमी का सफ़र
जिंदगी का सफ़र कर रहा है तन्हा
कोई तो अब मिले दोस्ती का सफ़र
छोड़ दें तू घर बरबाद होगा वरना
देख अच्छी नहीं मयकशी का सफ़र
वो नजर आया आज़म नहीं है मगर
कर आया हूँ उसकी मैं गली का सफ़र