मै नारी हूँ | Main Nari Hoon Kavita
मै नारी हूँ ( Main nari hoon : Poem on nari ) ( 2 ) पुरुषों के समाज में अबला कहलाने वाली बेचारी हूं, सब कुछ सहकर चुपचाप आंसू बहाने वाली मैं नारी हूं। पुरुष को जन्म देने से मरण तक देती हूं साथ पुरुष का, उस वक्त भी होती जरूरी प्रदर्शन होता जब पौरुष…