
नारी जीवन
( Nari Jeevan )
पिता पति के बीच बंटी है,
नारी की यह अमिट कथा।
एक ने दिया जीवन है उसको,
दूजे ने गतिमान किया।
पिता वो शिक्षक पाठ पढ़ा कर,
नौका पर कर दिया सवार।
पति वो मांझी साथ बिठाकर,
जीवन नदी करा दी पार।।
कठिन डगर कांटे चुभते थे,
पिता चले पथ बिनते शूल।
दिशा मिली पर लक्ष्य दूर था,
पति थे साथ जहां प्रतिकूल।।
संस्कार यदि दिये पिता ने,
संस्कृति पति के साथ है आई।
साहस धैर्य पिता की पूंजी,
गहराई पति के संग पाई ।।
पिता ने अच्छा बुरा सिखाया,
पति ने इसका भेद बताया।
जीत हार का फर्क पिता ने,
हार को जीत पति ने बनाया।
नारी के जीवन में नर के,
ये दोनों है रूप महान।
एक ने दिया जीवन है उसको,
दूजे ने किया गतिमान।।
रचना – सीमा मिश्रा (शिक्षिका व कवयित्री)
स्वतंत्र लेखिका व स्तंभकार
उ.प्रा. वि.काजीखेड़ा, खजुहा, फतेहपुर
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