Vidyarthi par kavita

विद्यार्थी | Vidyarthi par kavita

विद्यार्थी

( Vidyarthi ) 

 

एक यही होती विद्यार्थियों की पहचान,

मंजिल को पाना और बनना है महान।

एक जैसी युनिफॉर्म ये जूतें एवं जुराब,

अध्यापकों का सदैव करतें वे गुणगान।।

 

पढ़ते है जीवनी जैसे यह राम व रहीम,

गुरुग्रंथ एवं बाईबल गीता और क़ुरान।

ना कोई जानते क्या है जाति क्या धर्म,

होते है चंचल सहनशील यही परिधान।।

 

विद्यार्थी की कमी अध्यापक सुधारता,

कमियाॅं बताकर दूर उनको वह करता।

हर कला में विद्यार्थी को वो‌‌ निखारता,

अच्छा और सच्चा इन्सान उसे बनाता।।

 

कल का भविष्य यह विद्यार्थी ही होते,

लिखकर बोलकर गुरू समझाते रहते।

भाषा का अनुवाद विद्यार्थी को बताते,

स्वयं पर भरोसा रखों वह कहते-रहते।।

 

सारासच बोलती है यें विद्यार्थी ज़ुबान,

कूट-कूट कर भरते है गुरू इनमे ज्ञान।

करते बड़ों का आदर-सत्कार सम्मान,

गुरुदेव भी होते है यह भगवान समान।।

 

समय एवं अध्यापक सिखातें ‌ही रहते,

हीरा ‌बनकर चमको ऐसा कहते-रहते।

प्यारे मित्र थें वें सारे विद्यार्थी समय के,

सारासच है यह बात आज हम कहते।।

 

 

रचनाकार :गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

 

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